यह हाल कोई एक शहर का नहीं है. उत्तर बंगाल के अघोषित मुख्यालय सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी का भी एक ही हाल है. माथाभांगा शहर में तो इस समस्या ने गंभीर रुप ले लिया है. वैसे तो माथाभांगा नगरपालिका ने फुटपाथों पर दखल के खिलाफ दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं. लेकिन आज जरूरत है इस गैरकानूनी और अमानवीय कदम के खिलाफ अभियान चलाने की है. तभी जाकर इस तरह के क्रियाकलाप पर रोक लगेगी.
दुकानदारों के फुटपाथ पर अतिक्रमण करने से यह समस्या गंभीर हो गई है. सुबह दुकान खोलने से लेकर रात को दुकान बंद करने तक ये दुकानदार फुटपाथ पर कब्जा जमा लेते हैं. इससे पैदल यात्री फुटपाथों का उपयोग नहीं कर पाते हैं. बाध्य होकर उन्हें सड़क से होकर चलना होता है. हालांकि सड़कों पर भी वाहनों के पार्किंग के चलते उनके लिये समस्या हो जाती है. ऐसा ही कुछ हाल सिलीगुड़ी के हिलकार्ट रोड पर देखने में मिलता है. बाटा के शोरूम के सामने हॉकर फुटपाथों पर अपनी दुकान लगा लेते हैं. इससे पैदल आने जाने वालों को असुविधा होती है.
वहीं, शहर खुदीरामपल्ली में मोटरसाइकिलों की कतार लगने से उस छोटी सी सड़क पर जाम आये दिन लगा रहता है. पार्किंग की सही व्यवस्था नहीं होने से भी पैदल यात्रियों को चलने में असुविधा होती है. उल्लेखनीय है कि विकासशील शहरों में वाणिज्यिक गतिविधियों के चलते पैदल यात्रियों के अधिकार का हनन पुराना मामला है जिस पर अभी तक नागरिक अधिकार संगठनों का ध्यान नहीं गया है. ऐसे शहरों की तेजी से बढ़ रही आबादी के चलते जाम और फुटपाथ दखल की समस्या विकराल हो गयी है. विकास के सामने व्यक्ति का स्वातंत्रय प्रभावित हो रहा है. कई नागरिकों का मानना है कि इस तरह के अवैध क्रियाकलापों पर अविलंब रोक लगनी चाहिये.