इस दौरान पूरा शहर लाल पताकों से ‘लाल-ए-लाल’ हो उठा. माकपा के लोकसभा सांसद (रायगंज) मोहम्मद सलीम, सिलीगुड़ी के विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य, बीपीएमओ के दार्जिलिंग जिला इकाई के संयुक्त संयोजक माकपा के भूतपूर्व राज्यसभा सांसद सह सीटू नेता समन पाठक, झरेन राय, सिलीगुड़ी नगर निगम के चेयरमैन दिलीप सिंह, डिप्टी मेयर रामभजन महतो, एमआइसी मुंशी नुरुल इस्लाम, शंकर घोष, सीपीआइ के वरिष्ठ नेता उज्जवल घोष, गौतम घोष समेत वाम मोर्चा के सभी घटक दलों के वरिष्ठ नेताओं के अगुवायी में यह महारैली महानंदा के तट से शुरु हुई और एयरव्यू मोड़, हिलकार्ट रोड, हाशमी चौक, कचहरी रोड होते हुए बाघाजतीन पार्क पहुंचकर समाप्त हुई. इस दौरान प्रदर्शनकारी कॉमरेडों ने चोर पकड़ो, जेल भरो, 200 करोड़ रुपया बरामद करो, ममता हटाओ बंगाल बचाओ, मोदी हटाओ देश बचाओ जैसे तख्ती, पोस्टरों के जरिये जमकर नारा भी लगाया.
डेंगू से पीड़ित मरीजों को अब ममता सरकार अज्ञात बुखार का नाम दे रही है. वहीं, सिलीगुड़ी नगर निगम में वाम मोर्चा की बोर्ड होने के वजह से डेंगू से मुकाबले के लिए राज्य सरकार से फंड सीधे निगम को न भेजकर एसजेडीए के हवाले किया गया. सलीम ने ममता को राजनीति का पाठ पढ़ाते हुए कम से कम रोग और स्वास्थ्य को लेकर गंदी राजनीति न करके डेंगू से सभी राजनैतिक पार्टियों को साथ लेकर मुकाबला करने की सलाह दी. साथ ही उन्होंने ममता को मुंबई के बदले बंगाल में बचेखुचे उद्योग को बचाने की नसीहत दी.
उनका कहना है कि सत्ता में आने से पहले मोदी ने देश की भोली-भाली जनता से प्रत्येक वर्ष दो करोड़ नवयुवकों को नौकरी देने का वादा किया. साढ़े तीन साल के शासन में सात लाख युवाओं की भी नौकरी नहीं हुई. किसान हितैसी सरकार होने का वादा किया. जबकि मोदी सरकार में ही केवल एक वर्ष के दौरान ही पूरे देश में 12 हजार से भी अधिक किसानों और खेतमजदूरों के आत्महत्या करने का सबसे अधिक रिकार्ड मामले की पुष्टि हुई. मात्र एक वर्ष में ही संगठित और असंगठित क्षेत्रों के उद्योगों से 96 लाख से भी अधिक श्रमजीवियों को नौकरी से अचानक हटाकर बेरोजगार कर दिया गया. अन्य मुद्दों पर भी उन्होंने ममता-मोदी पर जमकर हमला बोला.