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छठ पूजा: प्रशासन के फैसले से हिंदीभाषी समाज खफा, 15 से आमरण अनशन करने की दी धमकी

सिलीगुड़ी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोर्ट के गाइड लाइन का हवाला देकर छठ पूजा के मद्देनजर दार्जिलिंग जिला प्रशासन (डीएम) के फरमान का सिलीगुड़ी में हिंदीभाषी समाज में उबाल जारी है. डीएम जयशी दासगुप्ता और सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर (सीपी) नीरज कुमार सिंह द्वारा हाल ही में एक मीटिंग के दौरान छठ पूजा को लेकर […]

सिलीगुड़ी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोर्ट के गाइड लाइन का हवाला देकर छठ पूजा के मद्देनजर दार्जिलिंग जिला प्रशासन (डीएम) के फरमान का सिलीगुड़ी में हिंदीभाषी समाज में उबाल जारी है. डीएम जयशी दासगुप्ता और सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर (सीपी) नीरज कुमार सिंह द्वारा हाल ही में एक मीटिंग के दौरान छठ पूजा को लेकर दिये गये तथा कथित बयान की भी निंदा हो रही है. सोमवार को एक बार फिर उनके बयानों की निंदा की गयी. यह निंदा सिलीगुड़ी के पांच नंबर वार्ड मां संतोषी छठ पूजा सेवा समिति और युवा समाजसेवियों के संगठन नवयुवक वृंद क्लब के संयुक्त बैनर तले आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के सामने समाजसेवियों ने की.

साथ ही समिति की ओर से चेतावनी भी दी गयी है कि छठ पूजा के लिए शासन-प्रशासन ही वैकल्पिक व्यवस्था करे, अन्यथा 15 अक्तूबर से छठ पूजा तक हजारों श्रद्धालु छठ घाटों पर आमरण अनशन पर बैठेंगे. इस दौरान अगर किसी तरह की अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी. वरिष्ठ समाजसेवी सह सलाहकार समिति के प्रमुख डॉ बीएन राय ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शासन-प्रशासन से सवाल करते हुए कहा कि अगर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी तो छठ व्रती क्या सड़कों या फिर अपने घरों के सामने छठ पूजा करेंगे.

एनजीटी ने आठ महीने पहले मार्च में दिया था निर्देश
समिति के प्रवक्ता राजेश राय का कहना है कि हम कोर्ट के निर्देश का सम्मान करते हैं. लेकिन महानंदा व अन्य नदियों को बचाने और उसे संरक्षित करने तथा प्रदूषण रहित करने के लिए एनजीटी द्वारा इसी साल आठ महीने पहले मार्च महीने में निर्देश जारी किया था. लेकिन डीएम साहिबा ने अन्य सभी पर्व-त्योहारों के बीत जाने के बाद केवल छठ पूजा के लिए ही फरमान जारी किया है. जो उनकी जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा करता है. डीएम साहिबा का साफ कहना है कि छठ पूजा से महानंदा नदी प्रदूषित होती है. वहीं, पुलिस कमिश्नर साहब का कहना है कि जो भी कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके छठ पूजा का पालन करेगा उस पर कानूनी कार्रवायी होगी. यहां तक की तीन साल की सजा और जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
आखिर कैसे हो छठ पूजा
समिति के अध्यक्ष पंकज साह का कहना है कि जिला प्रशासन के फरमान के अनुसार छठ पूजा के दौरान नदी में न तो घाट बनायी जा सकती है न ही नदी पर अस्थायी पुलिया का निर्माण किया जा सकता है . इसके अलावा नदी में केला गाछ लगाने और नदी में जाकर अर्घ्य देने की भी मनाही है. सचिव जयप्रकाश दास का कहना है केवल मां संतोषी घाट में ही तीन लाख से अधिक श्रद्धालु छठ मय्या की पूजा के लिए आते हैं. ऐसे में पूरे सिलीगुड़ी में 45 से भी अधिक छोटे-बड़े छठ घाट हैं. जिला प्रशासन के फरमान के बाद इसबार कैसे छठ पूजा मनेगी यह चिंता का विषय है.
प्रदूषण दूर करने की नसीहत
नवयुवक वृंद क्लब के अध्यक्ष धनंजय गुप्ता ने भी एनजीटी के दिशा-निर्देश का तहे दिल से सम्मान करते हुए डीएम साहिबा को वर्ष में केवल एक दिन नहीं बल्कि 365 दिन नदी संरक्षण करने की नसीहत दी. उनका कहना है कि छठ पूजा से ही महानंदा नदी का अस्तित्व बचा हुआ है. 365 दिनों का कचरा छठ पूजा आयोजक केवल 24 घंटे के इस लोक आस्था के महापर्व के दौरान महानंदा नदी से साफ करते हैं. इस पूजा के दौरान महानंदा की सौंदर्यता और निखर उठती है. पूजा समाप्ती के बाद भी आयोजक कमेटियां पूजा सामग्रियों व केलागाछ व फूल-पत्तों को नदी में नहीं डालने देते बल्कि एक निर्धारित जगह पर ही इकट्ठा करते हैं.
मां संतोषी घाट को निगम ने किया डंपिंग ग्राउंड में तब्दील
धनंजय गुप्ता ने दावे के साथ कहा है कि मां संतोषी घाट पूरे उत्तर बंगाल का नंबर वन घाट है. लेकिन आज इस घाट को सिलीगुड़ी नगर निगम ने डंपिंग ग्राउंड में तब्दील कर दिया है. निगम की ट्रकें पूरे शहर का कचरा हर रोज यहीं फेंकती हैं. इतना ही नहीं 47 वार्डों और पूरे शहर का प्रदूषित जल व गंदगी भी ड्रेन के जरिये नदी में ही प्रवाहित हो रहा है. प्रतिवाद करने पर उल्टा जगह की व्यवस्था करने की बात करते हैं. वहीं, छठ पूजा से पहले आयोजक कमेटी चंदा उठाकर जेसीबी लगाकर कचरा उठवाते हैं और नदी की साफ-सफाई करवाते हैं.
नदी किनारे कचरा फेंकने की बात में राजनीति : मेयर
मेयर अशोक भट्टाचार्य ने महानंदा नदी किनारे कचरा फेंकने की बातों को राजनीति से प्रेरित करार दिया. उनका दावा है कि निगम द्वारा कहीं भी नदी किनारे कचरा नहीं फेंका जाता. इस्टर्न बाइपास स्थित डंपिंग ग्राउंड में ही पूरे शहर का कचरा फेंका जाता है. श्री भट्टाचार्य का कहना है कि छठ पूजा लोक आस्था का पर्व ही नहीं बल्कि नदी को सौंदर्य प्रदान करनेवाला सामाजिक और संस्कृति से जुड़ा महापर्व है. जो लोग वह प्रशासन से ही जुड़े अधिकारी क्यों न हों, वह अगर यह बात कहते हैं कि छठ पूजा से नदी गंदी और प्रदूषित होती है, तो वह लाखों-करोड़ों की आस्था के साथ खिलवाड़ है. श्री भट्टाचार्य ने शहरवासियों से एनजीटी कोर्ट के दिशा-निर्देश का सम्मान करने और उसके तहत ही छठ पूजा आयोजन करने की गुजारिश भी की.
छठ पूजा को लेकर डीएम न दी सफाई
जिला की अधिकारी (डीएम) जयशी दासगुप्ता ने छठ पूजा को लेकर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने कभी भी छठ पूजा न मनाने की बात नहीं की है. उनके द्वारा मीटिंग के दौरान एनजीटी के दिशा-निर्देशों को पूजा आयोजक कमेटियों के सामने रखा था, जिसे गलत तरीके से लिया गया है. उनका कहना है कि छठ पूजा हर कोई नदी किनारे मना सकते हैं लेकिन नदी पर अस्थायी पुलिया का निर्माण नहीं किया जा सकता और न ही पूजा के नाम पर नदी में गंदगी फैलायी जा सकती है. छठ पूजा आयोजक कमेटियों को सलाह देते हुए कहा कि अगर कमेटियां प्रशासन को सहयोग करती हैं, तो पूजा से पहले नदी किनारों की सफाई एसजेडीए और निगम द्वारा करवायी जा सकती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने छठ पूजा आयोजक कमेटियों की गलतफहमियों को दूर करते हुए कहा कि एनजीटी के गाइड लाइन को उन्होंने केवल छठ पूजा को लेकर ही सभी के सामने नहीं रखा है, बल्कि इससे पहले भी इसी साल मई महीने में महानंदा के संरक्षण को लेकर एक प्रशासनिक मीटिंग के दौरान भी यही बात कही थी.

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