सिलीगुड़ी: 80 के दशक में गोरामुमो सुप्रीमो सुवास घीसिंग द्वारा शुरू गोरखालैंड आंदोलन के वजह से दार्जिलिंग पहाड़ को जितना नुकसान नहीं हुआ था,उससे काफी अधिक नुकसान गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग की अगुवायी में जारी वर्तमान गोरखालैंड आंदोलन के दौरान हो रहा है. करीब 109 दिनों तक जारी बेमियादी पहाड़ बंद ने एक तरह से कहें तो पर्यटन कारोबार की कमर तोड़ दी है.
अलम यह है कि पहाड़ पर बेमियादी बंद तो खत्म तो हो गया है,उसके बाद भी पर्यटक दार्जिलिंग आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को पहाड़ों की रानी माना जाता है.इसके आकर्षण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां हर साल ही लाखों की संख्या में पर्यटक आते है.खासकर अप्रैल से जून तथा अगस्त से अक्टूबर तक हर साल ही यहां लाखों की संख्या में पर्यटक आते है.पूजा के मौसम में तो यहां होटलों की बुकिंग 100 प्रतिशत भरी रहती है.देश-विदेश के पर्यटक भारी संख्या में यहां आते हैं.
ऐसे पर्यटकों की संख्या भी हजारों में होती है जो इन पर्यटन मौसम में होटलों की बुकिंग नहीं करा सकते हैं.इस बार नजारा बिल्कुल उल्टा है. दूसरा सीजन तो गोरखालैंड आंदोलन को भेंट चढ़ गया और अब जब पहाड़ की स्थिति सामान्य हुयी है तो पर्यटक यहां आ नहीं रहे हैं. स्वभाविक रूप से पर्यटक कारोबारियों की नींद उड़ी हुयी है.इस मामले में टूर ऑपरेटरों के संगठन एसोसिएशन फॉर कंजर्वेशन एंड टूरिज्म (एक्ट)के कन्वेनर राज बसु से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि पहाड़ पर हालत काफी खराब है. लगातार तीन महीने से भी अधिक समय से बंद रहने के कारण देश-विदेश में दार्जिलिंग की छवि काफी खराब हुयी है.पर्यटक यहां आने से डर रहे हैं. सभी को इस बात का डर हो गया है कि क्या पता दार्जिलिंग घूमने जाएं और अचानक गोरखालैंड आंदोलन में फंस जायें.ऐसी स्थिति को दूर करने की जरूरत है.सिर्फ पहाड़ बंद के कारण ही नहीं ट्रेनों की असमान्य आवाजाही से भी स्थिति बिगड़ी है.बेमियादी बंद के बाद बाढ़ ने दार्जिलिंग में पर्यटन उद्योग को मटियामेट कर दिया है. श्री बसु ने आगे कहा कि सिर्फ दार्जिलिंग ही नहीं सिक्किम में भी बंद और ट्रेन सेवा की बदहाली की कीमत चुकानी पड़ी है. बाढ़ की वजह से कई स्थानों पर रेल पुल टूटने से ट्रेनों की आवाजाही बंद रही. इस कारण से सिक्किम आने वाले पर्यटक भी यहां नहीं आये. श्री बसु ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में भी स्थित सुधरने की संभावना नहीं है.एक दिन यदि बंद होता है तो पर्यटन कारोबार को सात दिनों का नुकसान होता है.यहां तो करीब 110 दिनों तक पहाड़ बंद रहा.इस तरह से कहें तो दार्जिलिंग पहाड़ को एक साल के पर्यटन कारोबार को नुकसान हुआ है.दार्जिलिंग,कालिम्पोंग,कर्सियांग आदि क्षेत्र में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की हालत खराब है.होटल कारोबारी काफी नुकसान झेल चुके है. यही स्थिति वाहन मालिकों और चालकों की है. गाड़ी की किश्त देने तक में मुश्किल हो रही है.
श्री बसु ने स्थिति को सामान्य करने के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगायी है. उन्होंने इस मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी हस्तक्षेप की मांग की है. श्री बसु ने आगे कहा कि पर्यटन कारोबारियों को राहत देने की तत्काल जरूरत है. अगर राज्य सरकार की ओर से पर्यटन कारोबारियों की मदद नहीं की गयी तो पहाड़ पर सिर्फ पर्यटन कारोबारियों के ही नहीं,बल्कि पूरा पर्यटन उद्योग के तबाह होने की संभावना है. एक्ट की ओर से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देने की तैयारी की गयी है.वह शीघ्र ही तीन सूत्री मांगों से संबंधित एक ज्ञापन मुख्यमंत्री कार्यालय भिजवायेंगे.
ग्रामीण इलाकों में होम स्टे की हालत खराब
पर्यटन कारोबार का लाभ आमलोंगों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार तथा यहां के टूर ऑपरेटरों ने कुछ साल पहले ग्रामीण इलाकों में होम स्टे की शुरूआत की है. इसमें पर्यटक ग्रामीण इलाकों में जाते हैं और वहीं किसी ग्रामीण के घर में रूकते हैं.ग्रामीणों द्वारा पर्यटकों के ठहरने की लिए उत्तम व्यवस्था की जाती है. उनके खाने पीने का इंतजाम भी ग्रामीण ही करते हैं.इस व्यवस्था ने पहाड़ पर काफी लोकप्रियता हासिल की. पर्यटन कारोबार से जुड़कर ग्रमीणों को भी आय होने लगी. अब ऐसे ही ग्रामीणों की हालत काफी खराब है.श्री बसु ने होम स्टे चलाने वाले ऐसे ग्रामीणों को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता देने की भी मांग की.
क्या है टूर ऑपरेटरों की मांग
श्री बसु ने आगे बताया कि बेमियादी बंद की वजह से दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र ही नहीं बल्कि सिलीगुड़ी के वाहन मालिक बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.तीन महीने से अधिक समय तक वाहनों की आवाजाही नहीं हुयी. अब इनके सामने टैक्स के रूप में मोटी रकम चुकाने की चुनौती है. अब जब गाड़ियां चली ही नहीं तो यह लोग टैक्स कहां से देंगे. श्री बसु ने राज्य सरकार से बेमियादी बंद की अवधि के दौरान यहां के टैक्सी ऑपरेटरों तथा वाहन मालिकों को टैक्स में छूट देने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने वाहनों को फाइनेंस करने वाले बैंकों तथा कंपनियों से ब्याज में छूट देने की मांग भी की.श्री बसु ने दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के छोटे तथा मझोले होटलों को भी टैक्स और ब्याज में राहत देने की मांग की है.
विमल गुरूंग के प्रकट नहीं होने तक असमंजस
राजनीतिक विश्लेश्कों का कहना है कि जबतक गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग प्रकट नहीं हो जाते तबतक पहाड़ पर असमंजस की स्थिति बनी रहेगी. गोरखालैंड आंदोलन शुरू होने के करीब एक महीने बाद से ही विमल गुरूंग भूमिगत हैं. पुलिस उनको जोर शोर से तलाश रही है.या तो पहाड़ वापस लौटें या फिर उनकी गिरफ्तारी हो जाये तभी पहाड़ पर स्थित समान्य हो सकेगी. इस मुद्दे को लेकर जब जीटीए प्रशासनिक बोर्ड के वाइस चेयरमैन अनित थापा से बातचीत की कोशिश की गयी तो बात नहीं हो सकी.