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गोरखालैंड आंदोलन से सिक्किम के पर्यटकों पर भी मंडराया संकट

सिलीगुड़ी. अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोरचा के आंदोलन की आग ने सिलीगुड़ी के अलावा पड़ोसी राज्य सिक्किम को भी लपेटे में ले लिया है. वहां के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग इस मांग को जायज ठहराया है और पूर्णरूपेन अपना समर्थन देने की घोषणा की है. उसके बाद शुक्रवार को सिक्किम सरकार […]

सिलीगुड़ी. अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोरचा के आंदोलन की आग ने सिलीगुड़ी के अलावा पड़ोसी राज्य सिक्किम को भी लपेटे में ले लिया है. वहां के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग इस मांग को जायज ठहराया है और पूर्णरूपेन अपना समर्थन देने की घोषणा की है. उसके बाद शुक्रवार को सिक्किम सरकार ने सैलानियों को राज्य छोड़ने का फरमान जारी कर दिया है.

देसी-विदेशी सैलानियों को जल्द राज्य छोड़ने के लिए सरकार द्वारा सिक्किम से लेकर सिलीगुड़ी तक जगह-जगह पोस्टर भी चिपकाये गये हैं. सिक्किम सरकार ने प्रशासन को राज्य भर से सैलानियों को सुरक्षित हटाने का भी निर्देश दे दिया है. इस निर्देश के बाद सिक्किम में जिला और पुलिस प्रशासन ने युद्धस्तर पर राज्य भर के पर्यटन केंद्रों और होटलों को खाली करवाने का काम शुरु कर दिया है. होटल प्रबंधनों को निर्देश जारी किया गया है. साथ ही पर्यटन केंद्रों व होटलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.

सिक्किम सरकार के इस फरमान के बाद देसी-विदेशी सैलानी अब सिक्किम को लेकर भी जहां दुविधा में पड़ गये हैं वहीं, राजनैतिक गलियारे में भी तरह-तरह की अटकले तेज हो गयी है. गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जीलिंग पार्वतीय की राजनीति पर वर्षों से नजर रखनेवाले राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सैलानियों को राज्य छोड़ने का सिक्किम सरकार का फरमान राजनीति से प्रेरित है. अपने वर्षों के तजुर्बे के आधार पर विश्लेषकों का कहना है कि गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन कर एक और श्री चामलिंग ने दार्जीलिंग पार्वतीय क्षेत्र के गोरखाओं के प्रति प्रेम जताया वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर अलग राज्य गठन के लिए राजनैतिक दबाव बनाया है. केंद्रीय गहमंत्री राजनाथ सिंह से गोरखालैंड के लिए पत्र लिखना भी श्री चामलिंग की एक राजनीतिक चाल है. हालांकि सिक्किम सरकार के इस फैसले को लेकर वहां के मंत्री या अधिकारी मीडिया के सामने खुलकर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं.

सरकार के फैसले पर एथवा ने जताया एतराज: सिक्किम सरकार से फैसले का ट्रैवल्स एंड टूर ऑपरेटरों के संगठन इस्टर्न हिमालया ट्रैवल्स एंड टूर ऑपरेटर वेलफेयर एसोसिएशन (एथवा) ने एतराज जताया है. एथवा के प्रवक्ता सम्राट सान्याल का कहना है कि दार्जीलिंग एवं सिक्किम के लिए यह पर्यटन मौसम है. दोनों ही स्थानों के पर्यटन केंद्रों पर भारी संख्या में पर्यटक आ रहे थे. अचानक गोरखालैंड आंदोलन ने पहले दार्जीलिंग के पर्यटन को गिरा दिया और अब सिक्किम को भी झूलसाने जा रहा है. श्री सान्याल का कहना है कि इन दिनों राजनैतिक अखाड़ा बने पहाड़ का खामियाजा पर्यटन उद्योग को उठाना पड़ रहा है. साथ ही देशी-विदेशी सैलानियों के साथ बार-बार मजाक किया जा रहा है.
सिक्किम के अधिकारियों ने दी सफाई : सैलानियों के जल्द सिक्किम छोड़ने के सरकार के फैसले को सिक्किम के अधिकारियों ने राजनीति से परे ठहराया है. सिक्किम सरकार का फैसला राजनीति लाभ के लिए नहीं बल्कि सैलानियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर है. सिक्किम राज्य परिवहन (एसएनटी) के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने प्रभात खबर के साथ विशेष बातचीत के दौरान अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कहा कि दार्जीलिंग पार्वतीय क्षेत्र में गोरखालैंड आंदोलन के बाद देसी-विदेशी सैलानियों का रूझान सिक्किम की ओर आशा से भी अधिक बढ़ गया है. लेकिन बीते चार-पांच रोज से सिक्किम की लाइफ लाइन माने जानेवाली मुख्य सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-10 पर गोरखालैंड आंदोलनकारी हिंसक आंदोलन कर रहे हैं. सिक्किम की ओर आनेजाने वाले वाहनों को भी निशाना बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं सैलानियों को भी नहीं बख्शा जा रहा. साथ ही आंदोलनकारियों ने वेस्ट बंगाल नंबर गाड़ियों को दर्जीलिंग पहाड़ ही नहीं बल्कि सिक्किम भी जाने से रोक दिया है. इस वजह से सिक्किम में सैलानियों के तुलना में वाहनों की काफी किल्लत हो गयी है. सिक्किम के प्रायः सभी बस स्टैंडों व टैक्सी स्टैंडों पर सिलीगुड़ी या फिर देश के अन्य जगहों पर लौटने के लिए हर रोज जिस संख्या में सैलानी पहुंच रहें है यह सिक्किम सरकार के लिए अब चुनौती बन गया है. सैलानियों की सुरक्षा और सुख-सुविधा के लिए ही सरकार ने उन्हें जल्द से जल्द सिक्किम छोड़ने का निर्देश दिया है.

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