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बोले आम लोग : कोरोना वायरस के संबंध में हो रहे जागरूक

विभिन्न मंचों से कोरोना से सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं. लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है. इसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. आमलोग कोरोना के संबंध में जागरूक हो रहे हैं.

कोलकाता : कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा के तमाम उपाय किये जा रहे हैं. राज्य में शिक्षण संस्थानों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है. इसके अलावा बिरला तारामंडल, साइंस सिटी और भारतीय संग्रहालय को भी बंद कर दिया गया है. विभिन्न मंचों से कोरोना से सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं. लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है. इसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. आमलोग कोरोना के संबंध में जागरूक हो रहे हैं.

चंद्र देव चौधरी, व्यवसायी : इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है. इस कारण सबसे पहले बुखार, उसके बाद सूखी खांसी आती है. बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है. वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पांच दिन लगते हैं. कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं. इससे बचाव के लिए साफ-सफाई काफी जरूरी है.

डॉ संजय कुमार : जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसकी थूक के बेहद सूक्ष्म कण हवा में फैलते हैं. इन्हीं कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं. संक्रमित व्यक्ति के नजदीक जाने पर ये कण सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना चाहिए.

रामपुकार शर्मा, शिक्षक, श्री जैन विद्यालय : कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 31 मार्च तक राज्य भर के सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने का निर्णय लिया है. यह सरकार की यह अच्छी पहल है. स्कूलों में बड़ी तादाद में छात्र इकट्ठा होते हैं. कोरोना वायरस से बचाव के लिए भीड़-भाड़वाली जगहों पर जाने से परहेज जरूरी है.

अनिल कुमार राय, शिक्षक, अंबिका हिंदी हाइस्कूल, हावड़ा : कोरोना वायरस के संक्रमण के आंकड़ों की तुलना में मरनेलों की संख्या को देखा जाये, तो ये बेहद कम है. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता. संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फीसदी होती है. फिलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हजारों लोगों का इलाज चल रहा है. मरनेवालों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है. इसलिए लोगों को बेवजह आतंकित होने की जरूरत नहीं है.

किशन कुमार, छात्र : खुद को छूने से विभिन्न जगहों एकत्रित हुए जीवाणु हमारी आंख, नाक और मुंह से होते हुए हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंच सकते हैं. अगर हम किसी ऐसी चीज को छूते हैं, जिस पर वायरस हो, तो इससे भी वायरस हमारे शरीर में घुस सकता है. लोगों को कुछ भी ऐसा करने से रोकना है, जो अनजाने में होता है, एक बड़ी समस्या है. इससे ज्यादा आसान यह है कि लोग अपने हाथों को बार-बार धोते रहें, ताकि हाथों की गंदगी दूर हो जाये.

अंजनी कुमार राय, प्रधान शिक्षक, श्री शांति विद्यालय, हावड़ा : कोरोना को लेकर दुनिया भर में दहशत है. लेकिन हमें घबराने की जरूरत नहीं है. बस सतर्कता बरतनी होगी. कोरोना छुआछूत की बीमारी है, इसलिए जितना संभव हो सके, कोरोना प्रभावित लोगों से दूर रहना चाहिए. बार-बार हमें अपने हाथों को धोना चाहिए. बाहर निकलते पर यथासंभव नाक, कान, मुंह को कम छूना चाहिए. व्यायाम या योग करके हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ानी चाहिए.

संगीता राय, शिक्षिका, भवानी अपर प्राइमरी स्कूल : कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया. इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था. डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं. अब तक इस वायरस को फैलने से रोकनेवाला कोई टीका नहीं बना है. लिहाजा सतर्कता ही एकमात्र उपाय है.

अनुपमा जायसवाल, छात्रा, शिक्षायतन कॉलेज : इसके लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं. संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरतनी जरूरी है. कुछ मामलों में कोरोना वायरस घातक भी हो सकता है. खासतौर पर अधिक उम्र के लोगों और ऐसे व्यक्ति जिन्हें पहले से दमा, मधुमेह और हृदय की बीमारी है.

संजय शुक्ला, साहित्यकार : स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं. इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए. खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को रुमाल या टिश्‍यू पेपर से ढंककर रखना चाहिए. जिन व्‍यक्तियों में ठंड और फ्लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए. अंडे और मांस के सेवन से बचा जा सकता है. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से भी बचना चाहिए.

तारकेश्वर दुबे, व्यवसायी, कोलकाता : आप संक्रमण को होने से रोक सकते हैं, अगर आप अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करते हैं या साबुन और पानी से हाथ नियमित साफ करते हैं. खांसने और छींकने के दौरान टिश्यू पेपर से या कोहनी को मोड़कर, अपनी नाक और मुंह को कवर करना चाहिए. ऐसे व्यक्तियों, जिनमें जुकाम या फ्लू जैसे लक्षण हैं, उनसे दूरी बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

संतोष कुमार तिवारी, शिक्षक, श्री जैन विद्यालय, हावड़ा : विशेषज्ञों के अनुसार भारत का मौसम भी कुछ हद कर कोरोना वायरस से बचने में मददगार साबित हो सकता है. उनकी मानें तो भारत के गर्म तापमान और उमस के कारण यह भारत में वैसी तबाही नहीं मचा पायेगा. दरअसल वायरस कम तापमान में फैलता है और यही वजह है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह तेजी से फैला] क्योंकि ये देश, भारत के मुकाबले ठंडे हैं और यहां आर्द्रता कम है. जापान और दक्षिण कोरिया में भारत के मुकाबले यह बीमारी तेजी से फैली. यही वजह है कि भारत का तापमान और जलवायु कोरोना वायरस को रोकने में कामयाब हो सकती है.

चंचल दुबे, गायक : भारत की जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है. वहीं अधिकतर भारतीयों में स्वच्छता के लिए अपनाये जानेवाली आदतें कम ही देखने को मिलती हैं. पिछले कुछ वायरसों की बात की जाये, तो भारत में उनका प्रभाव कम ही रहा है. लोगों को इससे बचने के लिए सभी जरूरी उपाय बताये जाने चाहिए, हालांकि भारत में इसके लिए समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है.

शोभित सिंह, प्राध्यापक : ऑफिस में हम आठ-नौ घंटे समय बिताते हैं. ऐसे में यहां इनफेक्शन होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. वहीं, ऑफिस में चाहें कितनी भी साफ-सफाई क्यों न हो, जरूरी है कि ऑफिस पहुंचते ही सबसे पहले अपना वर्क स्टेशन साफ करना चाहिए. वर्क स्टेशन के साथ कीबोर्ड, माउस जैसी चीजों, जहां पर बार-बार सभी के हाथ लगते हैं, उसे भी साफ करना चाहिए. रेग्युलर हैंड वॉशिंग और सैनिटाइजर्स को वर्कप्लेस पर भी ले जाना चाहिए.

बंकु मिश्रा, प्रधानाध्यापक, विक्रम विद्यालय ब्रांच : कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि हाथों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाये. अगर हाथ साफ हैं तो सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि किसी भी वायरस और बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार डिस्पोजेबल वाइप्स का इस्तेमाल करना चाहिए. ऑफिस में कर्मचारियों को डिस्पोजेबल वाइप्स दिये जाने चाहिए, ताकि वे सभी के इस्तेमाल के स्थान जैसे- दरवाजों का हैंडल, डोर नॉब, लिफ्ट का बटन, रिमोट कंट्रोल, डेस्क आदि को छूने से पहले वाइप्स से साफ कर लें. ऐसा करने से भी कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.

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