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बारूद के ढेर पर है माशिला ग्राम पंचायत

हावड़ा. राष्ट्रीय राजमार्ग से महज 100-150 मीटर की दूरी पर स्थित माशिला ग्राम पंचायत बारूद के ढेर पर खड़ा है. इस ग्राम पंचायत के अंतर्गत माशिला, मिर्जापुर व आलमपुर गांव आते हैं. तीनों गांवों की जनसंख्या डेढ़ लाख से अधिक है. माशिला ग्राम पंचायत के अंतर्गत 65-70 छोटे-बड़े कल कारखाने हैं लेकिन शायद ही किसी […]

हावड़ा. राष्ट्रीय राजमार्ग से महज 100-150 मीटर की दूरी पर स्थित माशिला ग्राम पंचायत बारूद के ढेर पर खड़ा है. इस ग्राम पंचायत के अंतर्गत माशिला, मिर्जापुर व आलमपुर गांव आते हैं. तीनों गांवों की जनसंख्या डेढ़ लाख से अधिक है. माशिला ग्राम पंचायत के अंतर्गत 65-70 छोटे-बड़े कल कारखाने हैं लेकिन शायद ही किसी कारखाने में अग्निश्मन की दुरुस्त व्यवस्था हो. इनमें से कई ऐसे कारखाने हैं, जिनके पास ट्रेड लाइसेंस और प्रॉविजनल सर्टिफिकेट भी नहीं हैं.

नियम के अनुसार, प्रॉविजनल सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं होने पर फायर लाइसेंस नहीं दिया जाता है. बावजूद इसके, बिना किसी रोकथाम के यहां कारखानों में उत्पादन का काम धड़ल्ले से चल रहा है. इन इलाकों में अधिकतर थर्मोकोल, होजियरी व प्लास्टिक के कारखाने हैं. इन कारखानों में ज्वलनशील पदार्थ हमेशा मौजूद रहते हैं जिससे हर समय आग लगने की संभावना बनी रहती है. बिजली के कनेक्शन भी नियम के मुताबिक नहीं लिये गये हैं. ऐसे में शॉट सर्किट की संभावना सबसे अधिक रहती है.

करीब 10 हजार श्रमिक यहां जान जोखिम में डालकर काम करते हैं. जानकारी के अनुसार, अधिकतर कारखानों का टैक्स कई वर्षों से बकाया पड़ा है. माशिला ग्राम पंचायत की ओर से टैक्स जमा करने व अग्निश्मन व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए कई बार नोटिस भी जारी किया जा चुका है, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. अधिकतर कल-कारखाने बिना अग्निश्मन व्यवस्था के ही चल रहे हैं. गुरुवार सुबह यहां एक थर्मोकोल कारखाने में भयावह आग लगी थी जिसे 23 इंजनों की मदद से काबू में लाया गया था. इस अग्निकांड में 6000 वर्ग फीट में फैला थर्मोकोल कारखाना पूरी तरह जलकर राख हो गया और दमकल कर्मियों को आग बुझाने में छह घंटे मशक्कत करनी पड़ी थी.

यह सच है कि यहां जितने भी छोटे-बड़े कारखाने हैं, वहां अग्निश्मन की कोई व्यवस्था नहीं है. गैरकानूनी तरीके से ही कारखाने चलाये जा रहे हैं. पंचायत की ओर से प्रत्येक वर्ष नोटिस जारी किया जाता है लेकिन कारखाने के मालिक उस पर ध्यान नहीं देते. गुरुवार की घटना हम सभी को एक सीख देकर गयी है लेकिन अभी भी कारखाने के मालिकों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है जो आनेवाले दिनों में किसी बड़ी घटना को आमंत्रण देने जैसा है. इससे भी बड़ी घटना घट सकती है. माशिला की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां की अति संकरी हैं जिससे किसी भी वाहन को यहां पहुंचने में बहुत दिक्कत होती है और जल्द मदद नहीं पहुंच पाती.
अजीमा बेगम, प्रधान, माशिला ग्राम पंचायत.

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