कोलकाता: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य के दो आइपीएस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे राज्य की जनता के लिए नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के लिए कार्य कर रहे हैं. इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट ने भी राज्य के आइपीएस अधिकारियों को फटकार लगायी है. शनिवार को महाजाति सदन में प्रदेश भाजपा के स्वास्थ्य सेल की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार व पश्चिम मेदिनीपुर की पुलिस अधीक्षक भारती घोष की भूमिका पर सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि इन दोनों आइपीएस अधिकारियों ने राज्य की जनता के लिए नहीं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के लिए कार्य किया है. कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सारधा मामले के कई फाइलों को गायब कर दिया था. सीबीआइ ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया है, उसमें राजीव कुमार को भी शामिल किया.
वह सीबीआइ के खिलाफ इसका विरोध करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर की पुलिस अधीक्षक भारती घोष की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि खड़गपुर में पार्षद के पति श्रीनू हत्याकांड में इनकी बहुत बड़ी भूमिका है. सिर्फ यही नहीं, जिले के एक व्यवसायी ने पुलिस अधीक्षक के खिलाफ 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आराेप लगाया है.
अब इससे बुरा और क्या हो सकता है. मुख्यमंत्री की नजर में ये आइपीएस अधिकारी ही नंबर वन हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य सरकार जितनी बार भी हाइकोर्ट गयी है, उसे वहां से थप्पड़ खाने को मिला है. अब ऐसी सरकार से लोगों को इंसाफ की उम्मीद कहां से मिल सकती है.