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स्वतंत्र सोच को है खतरा : मनमोहन
कोलकाता. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वतंत्र सोच और खुली अभिव्यक्ति पर अब भारतीय विश्वविद्यालयों में ‘खतरा’ है. कांग्रेस नेता ने कहा कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और जेएनयू में छात्र समुदाय की खुली अभिव्यक्ति के साथ हस्तक्षेप के हालिया प्रयास खासतौर पर चिंता के विषय थे […]
कोलकाता. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वतंत्र सोच और खुली अभिव्यक्ति पर अब भारतीय विश्वविद्यालयों में ‘खतरा’ है. कांग्रेस नेता ने कहा कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और जेएनयू में छात्र समुदाय की खुली अभिव्यक्ति के साथ हस्तक्षेप के हालिया प्रयास खासतौर पर चिंता के विषय थे और शांतिपूर्ण असहमति को दबाने को ‘सीखने के लिए अहितकर’ और ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया.
प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के द्विशताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए 84 वर्षीय श्री सिंह ने कहा : खेद है कि भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र सोच और खुली अभिव्यक्ति को अब खतरा है. शांतिपूर्ण असहमति को दबाने के प्रयास न सिर्फ सीखने के लिए अहितकर, बल्कि अलोकतांत्रिक भी हैं.
श्री सिंह ने कहा : सही राष्ट्रवाद वहां पाया जाता है जहां छात्रों, नागरिकों को सोचने और खुल कर बोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उसे दबाया नहीं जाता है. यह सिर्फ रचनात्मक संवाद के जरिए होता है. हम सही मायने में मजबूत, अधिक जोड़ने वाले और सतत लोकतंत्र का अपने देश में निर्माण कर सकते हैं. उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला आत्महत्या प्रकरण का परोक्ष तौर पर उल्लेख किया. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में नियुक्ति में राजनैतिक हस्तक्षेप बेहद अदूरदर्शी है. उन्होंने कहा : हमें अवश्य अपने विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए और विचारों को व्यक्त करने के हमारे छात्रों के अधिकारों को प्रोत्साहित करना चाहिए.
श्री सिंह ने कहा : हम तर्क और तार्किकता की अवहेलना करके पूरी दुनिया में राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों, पॉपुलिज्म और पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा में उभार देख रहे हैं, लेकिन ये प्रवृत्तियां काफी खतरनाक हो सकती हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा : हमें भारत को इस प्रवृत्ति से अवश्य बचाना चाहिए और इस संबंध में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है. श्री सिंह ने कहा : मेरा मानना है कि हर विश्वविद्यालयों को अवश्य जानकारी हासिल करने की स्वतंत्रता देनी चाहिए, भले ही जानकारी स्थापित बौद्धिक एवं सामाजिक परंपराओं के विपरीत हो सकती है. हमें बेहद उत्साह से इस आजादी की अवश्य रक्षा करनी चाहिए.
एक से 1.20 करोड़ नौकरियां पैदा करने की रणनीति का आह्वान
कोलकाता. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में हर वर्ष एक करोड़ से एक करोड़ 20 लाख नौकरियां पैदा करने की रणनीति बनाने की जरूरत है. उन्होंने ‘प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय’ के 200 वर्ष पूरे होने के समारोह में कहा : हमें हर वर्ष 10 से 12 मिलियन (एक से 1.20 करोड़) लोगों के लिए नौकरियां पैदा करने की रणनीति बनानी होगी. हालांकि श्री सिंह ने सतत वृद्धि के लिए नौकरियां बनाने के लिए पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है, जिसमें बेहद क्षमता है और प्रतिभाशाली लोग देश में बड़ी संख्या में हैं, लेकिन दुख की बात है कि आजादी के कई वर्ष बाद ‘हमें जाहिर तौर पर बहुत कुछ करना पड़ता है.’ उन्होंने कहा : भारत को तेजी से आगे बढ़ना होगा. हमें गरीबी और समानता का व्यावहारिक समाधान खोजना होगा और ऐसा माहौल पैदा करना होगा, जिसमें हिंसा किये बगैर आंतरिक तनाव खत्म किया जा सके.
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