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द्विशतवार्षिकी. प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब यूनिवर्सिटी) के 200 वर्ष पर समारोह में बोले, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारें : राष्ट्रपति

कोलकाता. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को बंगाल सरकार से कहा कि सिर्फ शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने पर जोर ना दें बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें. शिक्षा की गुणवत्ता सुधारे बगैर देश में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है. शिक्षण संस्थाओं का वैभव कायम रखने की जरूरत है. […]

कोलकाता. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को बंगाल सरकार से कहा कि सिर्फ शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने पर जोर ना दें बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें. शिक्षा की गुणवत्ता सुधारे बगैर देश में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है. शिक्षण संस्थाओं का वैभव कायम रखने की जरूरत है. वह हिंदू स्कूूल के 200 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. राष्ट्रपति ने कहा : मैं राज्य के शिक्षा मंत्री से कहना चाहूंगा कि यदि आपको आधुनिक युग में खुद को बेहतर बनाना है तो आपको उच्च शिक्षा को अहमियत देनी होगी.

आप पुराने तरीके से चीजें नहीं कर सकते. आपको लीक से हट कर हल निकालना होगा यह अच्छी बात है कि पश्चिम बंगाल में 27 विश्वविद्यालय हैं. लेकिन स्कूल और कॉलेज की संख्या बढ़ाना हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए. हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध एवं विकास को अहमियत देना होगा. मैं 126 केंद्रीय विश्वविद्यालयों का विजिटर हूं. हमने सिर्फ बुनियादी ढांचा बढ़ाया है, गुणवत्ता नहीं. हम सिर्फ परिसंपत्ति बना रहे हैं लेकिन उनकी देखभाल नहीं कर रहे हैं.

राष्ट्रपति ने देश में शोध गतिविधियों के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचा मुहैया करने की जरूरत का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन, हरगोविंद खुराना और एस सुब्रहमण्यम बेहतर शिक्षा के लिए देश से बाहर गये थे, उसी तरह देश के मेधावी लोगों को भी विदेश जाना पड़ेगा. राष्ट्रपति के भाषण से ठीक पहले पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में राज्य में विश्वविद्यालयों की संख्या 13 से बढ़कर 16 हो गयी. करीब 41 कॉलेज खोले गये, जबकि 4. 5 लाख सीटें बढ़ायी गयीं. गौरतलब है कि हिंदू स्कूल की स्थापना 1817 में हुई थी. इसका उद्देश्य देश में पाश्चात्य शिक्षा मुहैया कराना था.

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