वे बुधवार को निगम के मासिक अधिवेशन में एक प्रस्ताव के जवाब में बोल रहे थे. इस प्रस्ताव को कांग्रेस पार्षद प्रकाश उपाध्याय ने रखा था. प्रस्ताव के जवाब में श्री घोष ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों के चिकित्सकीय वर्ज्य पदार्थ को नष्ट करने के लिए अलग- अलग संस्थाएं हैं, जिन्हें टेंडर के माध्यम से वर्ज्य को नष्ट करने का कार्य सौंपा जाता है. ऐसी संस्थाएं अपने शहर से कहीं दूर ले जाकर अपने ग्राउंड में वर्ज्य पदार्थों को डंप करते हैं. उन्होंने गत वाममोर्चा के बोर्ड पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वाम जमाने में कई निजी नर्सिंग होम चालू किये गये थे. उन्होंने कहा कि शहर में कुछ ऐसे छोटे निजी नर्सिं होम भी हैं जो किसी खुले स्थान पर अथवा धापा डंपिंग ग्राउंड में वर्ज्य चिकित्सकीय उपकरणों को फेंक रहे हैं.
उन्होंने बताया कि हमें इस तरह की शिकायत मिली थी कि धापा में एेसे वर्ज्य उपकरणों को डंप किया जा रहा है. धापा डंपिंग ग्राउंड के पास झोपड़ी में रहनेवाले लोग इसे रिसाइकिल कर रहे थे. यह शिकायत मिलने के बाद निगम के ठोचर कचरा विभाग स्वास्थ्य विभाग की मदद से एक अभियान चला कर धापा के पास बनीं कई झोपड़ियों को तोड़ा गया था. इसके साथ ही गत वर्ष 16 दिसंबर को निगम की ओर से निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम को पत्र के जरिय इसकी जानकारी दी गयी थी कि वह खुले में वर्ज्य उपकरणों को डंप न करें. साथ ही किसी बड़े व प्रतिष्ठित संस्था के जरिए ही इन पदार्थों को नष्ट करवायें. इसका रिकॉर्ड भी रखना होगा कि कब और किसी संस्था के जरिए वर्ज्य पदार्थों को डंप करवाया गया है. उन्होंने कहा कि निगम का निर्देश न मामनेवाले अस्पतालों के लाइसेंस को रद्द करने के लिए क्लिनिकल इस्टैब्लिश्मेंट विभाग को प्रस्ताव दिया जायेगा. निगम की ओर से जल्द ही इस दिशा में पहल भी किया जायेगा.