केंद्र के इस फैसले से घरेलू जूट उद्योग ने राहत की सांस ली है. गौरतलब है कि वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए पिछले महीने उच्चस्तरीय बैठक भी की थी. सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश और नेपाल से आयातित टाट तथा जूट उत्पाद से देश के जूट उद्योग को भारी नुकसान होने को लेकर ईज्मा ने वर्ष 2015 में डायरेक्टर ऑफ एंटी डंपिंग एंड एलायड ड्यूटीज (डीजीएडी) के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसमें यह कहा गया था कि एंटी डंपिंग के कारण जूट उद्योग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. माना जा रहा है कि भारतीय बाजार में आयातित टाट के बोरे, यार्न, और जूट के धागे सस्ते में उपलब्ध हो रहे थे, जबकि देशी जूट मिलों में तैयार जूट के उत्पाद महंगे होने के कारण नहीं बिकते थे.
एंटी डंपिंग एंड एलायड ड्यूटी (एडी) के डीजी ने ईज्मा की याचिका पर लगभग डेढ़ साल तक छानबीन की. केंद्रीय संस्था ने इस मामले में बांग्लादेश की जूट मिलों, व्यापारियों और आयातकों को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया था. अक्तूबर में डीजी एडी ने अपने अंतिम निष्कर्ष में कहा कि बांग्लादेश व नेपाल से आयातित टाट व जूट उत्पाद के कारण घरेलू जूट उद्योग को न केवल नुकसान हो रहा है, बल्कि प्रभावित भी हो रहा है.
डीजी एडी ने मामले की सुनवाई समाप्त करते हुए आयातित हेसियन, यार्न और टाट के बोरे पर (डंपिंग ड्यूटी) कर लगाने की सिफारिश कर दी. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए कर निर्धारित कर दिया. सूत्रों ने बताया कि वस्त्र मंत्री श्रीमती ईरानी ने पिछले महीने बैठक कर कस्टम विभाग को पड़ोसी देशों से आयातित होनेवाले जूट उत्पादों पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी. उन्होंने हर तीन महीने पर आयातित जूट उत्पाद की स्थिति की समीक्षा करने को भी कहा है.