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सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट डॉक्टरों को बैठाना गलत : डॉ सजल विश्वास
सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर के तीन हजार पद रिक्त कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों का व्यापक अभाव है. अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर के लगभग 2917 पद रिक्त हैं. इन रिक्त पदों पर डॉक्टरों को नियुक्त करने के बजाय अब राज्य सरकार ने विभिन्न अस्पतालों के आउटडोर सेवा को बहाल रखने […]
सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर के तीन हजार पद रिक्त
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों का व्यापक अभाव है. अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर के लगभग 2917 पद रिक्त हैं. इन रिक्त पदों पर डॉक्टरों को नियुक्त करने के बजाय अब राज्य सरकार ने विभिन्न अस्पतालों के आउटडोर सेवा को बहाल रखने के लिए प्राइवेट डॉक्टरों को नियुक्त करने का फैसला किया है. सरकार का यह निर्णय बिल्कुल गलत है.
ये बातें सर्विस डॉक्टर फोरम के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने कहीं. वह शनिवार को महानगर स्थित डॉक्टर फोरम के कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राइट टू इन्फारमेशन के तहत हमें पता चला है कि राज्य में मेडिकल ऑफिसरों के लगभग 2917 पद रिक्त हैं. राज्य सरकार ने इन रिक्त पदों पर चिकित्सकों को नियुक्ति नहीं कर प्राइवेट डॉक्टर को अस्थायी तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि सरकार ब्लॉक स्तर से मेडिकल कॉलेजों तक ऐसे चिकित्सकों को नियुक्त करना चाहती है. ऐसे डॉक्टरों से केवल आउटडोर विभाग में सेवा ली जायेगी. प्राइवेट डॉक्टरों के लिए सरकार ने तीन स्तर तैयार किया है. एमबीबीएस डिग्री प्राप्त चिकित्सकों को आउटडोर में कार्य करने के लिए 800 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से फीस दिये जाने की योजना है.
वहीं डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सकों को 1000 रुपये प्रति घंटा तथा सीनियर व अन्य उच्च डिग्री प्राप्त चिकित्सकों को 1500 रुपया प्रति घंटे के हिसाब से दिये जायेंगे. डॉ विश्वास ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में केवल अाउटडोर विभाग नहीं चलाया जाता है. अस्पतालों में इनडोर, आपातकालीन विभाग भी चलाये जाते हैं. ऐसे में केवल आउटडोर के लिए प्राइवेट डॉक्टरों को नियुक्त करने से समस्या का समाधान नहीं होनेवाला. डॉ विश्वास ने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर के लिए तय किया गया फीस सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों की तुलना में काफी अधिक है.
इससे सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों में असंतोष बढ़ेगा. डॉ विश्वास ने कहा कि सरकार के इस फैसले के विरुद्ध सर्विस डॉक्टर फोरम व मेडिकल सर्विस सेंटर की ओर से जल्द ही राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रो डॉ विश्व रंजन सत्पथी तथा राज्य के मुख्य स्वास्थ्य सचिव को ज्ञापन सौंपा जायेगा. इसके बाद चिकित्सकों के विभिन्न संगठनों के साथ मिल कर इस मुद्दे पर बृहत्तर आंदोलन किया जायेगा.
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