कोलकाता. नोटबंदी को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार की नीतियों पर माकपा ने निशाना साधा है. महानगर में एक सभा को संबोधित करते हुए माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि मौजूदा समय में देश में आर्थिक आपातकाल जैसी स्थिति है, केवल उसकी घोषणा नहीं की गयी है. माकपा काला धन के खिलाफ कदम उठाने के विरोध में नहीं है, लेकिन जब तक नये नोट की पर्याप्त उपलब्धता नहीं हो जाती, तब तक पुराने नोट का प्रचलन जारी रखने की मांग कर रही है.
नोटबंदी के कारणों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये तर्क को उन्होंने बेबुनियाद बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से काला धन रखनेवालों पर कोई असर नहीं पड़ा है और न ही विदेशों में रखा काला धन देश में वापस आया है. नोटबंदी के कदम से जाली नोट कारोबार, भ्रष्टाचार और आतंकवाद फंडिंग पर असर पड़ेगा, इसमें संदेह है. आतंकवाद की फंडिंग नकदी में नहीं होती, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन के जरिये होती है. नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. मछुआरों समेत रोज कमाने खानेवाले जैसे लोगों की स्थिति विषम हो गयी है. देश के वस्त्र व स्वर्ण व्यवसाय पर भी खासा असर पड़ा है.
इस क्षेत्र से जुड़े लगभग चार लाख लोग नोटबंदी के कारण बेरोजगार हो गये हैं. श्री येचुरी ने कहा कि नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री संसद में विपक्ष के सवालों को जवाब देने से बच रहे हैं, जबकि जनसभा में इस मसले पर तरह-तरह की बातें रख रहे हैं. कथित तौर पर प्रधानमंत्री लोगों से प्लास्टिक के कार्ड (डेबिट व क्रेडिट कार्ड) का इस्तेमाल करने की बात कही थी, लेकिन भारत में नोटबंदी अलग चीज है.
पूरी दुनिया में स्वीडन ही ऐसा देश है, जिसने नकदी रहित अर्थव्यवस्था बनाने में कामयाबी हासिल की, लेकिन उसकी आबादी संभवत: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की आबादी जितनी है. वहां शत-प्रतिशत आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है, लेकन क्या हमारे देश में पर्याप्त स्थिति है? देश में 86 फीसदी करेंसी 500-1000 रुपये के नोट के रूप में है, जबकि अभी मात्र 14 प्रतिशत करेंसी के भरोसे देश चल रहा है. नकद के रूप में कालाधन केवल छह प्रतिशत है. उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि क्या वह कालाधन रखनेवालों को सफेद करने का मौका दे रहे हैं? उन्होंने इस मुद्दे को लेकर व्यापक आंदोलन में बंगाल के लोगों को अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया.