हावड़ा: लोगों को इंसाफ देनेवाला न्यायालय खुद इंसाफ के लिए तरस रहा है. 110 साल पुराना आमता न्यायालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया है. एक समय में ग्रामीण हावड़ा के अंतर्गत आनेवाले सभी मामलों की सुनवाई इसी न्यायालय में होती थी. करीब 15 साल पहले उलबेड़िया महकमा अदालत के शुरू होने पर आमता न्यायालय में सिर्फ तीन थानों के मामले पहुंचते हैं.
भवन की हालत इतनी बदतर हो गयी है कि जल्द मरम्मत नहीं करायी गयी, तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कोर्ट की कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश भी दहशत में रहते हैं. भवन की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनायी गयी है. इस आशय का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2017 में मरम्मत कार्य शुरू हो जायेगा.
अंगरेजों के जमाने के इस न्यायालय में उदयनारायणपुर, जयपुर और आमता थाना के मामले पहुंचते हैं. समस्या यह है कि मामले की शुरूआत पहले उलबेड़िया महकमा अदालत से होती है. यहां से फिर आमता कोर्ट में मामला ट्रांसफर किया जाता है. इस कानूनी जटिलता का समाना वकीलों के साथ गिरफ्तार आरोपियों को भी झेलनी पड़ती है. आमता न्यायालय में ट्रेजरी की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से तीन थानों के अंतर्गत रहने वाले ग्रामीणों को उलबेड़िया अदालत जाना पड़ता है. इस अदालत में पांच सरकारी वकील व तीन न्यायाधीश हैं. अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट व जूनियर डिवीजन सिविल जज के यहां न्यायालय हैं, लेकिन तीन न्यायालयों की हालत जर्जर हो चुकी है. सबसे बड़ी परेशानी गवाहों व आरोपियों के परिजनों को लेकर है. इनके लिए कोर्ट में बैठने की जगह नहीं है. बारिश के दिनों में यह परेशानी आैर अधिक बढ़ जाती है. पेयजल की व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है लेकिन जरूरत के मुताबिक नहीं है. पार्किंग के लिए कोई जगह नहीं बनायी गयी है.
आमता कोर्ट की हालत बताने लायक नहीं है. भवन जर्जर हो चुका है. न्यायाधीश जिस घर में बैठते हैं, वहां की हालत बिगड़ चुकी है. मरम्मत कार्य के लिए 10 करोड़ रुपये की जरूरत है. खर्च का प्रस्ताव वित्त विभाग के पास भेज दिया गया है. उम्मीद है कि प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिल जायेगी. कानूनी जटिलता को भी दूर करने के लिए बातचीत की जा रही है. उदयनारयणपुर, आमता व जयपुर इलाकों का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है. यहां के लोगों के लिए उलबेड़िया कोर्ट आना मुश्किल होता है.
रमेश पॉल, वकील