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विद्यालयों में प्रेरणादायक ग्रंथों पर रोक क्यों : शंकराचार्य

हुगली. कोननगर राज राजेश्वरी सेवा मठ में अपने प्रवास के दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने एक बहुत ही गंभीर विषय पर चिंता प्रकट करते हुए राष्ट्र के समक्ष एक प्रश्न रखा कि हमारे विद्यालयों में ज्ञानदायिनी ग्रंथों (रामायण, महाभारत, भगवत गीता) के पठन-पाठन पर रोक क्यों है? जबकि मदरसों में कुरान और […]

हुगली. कोननगर राज राजेश्वरी सेवा मठ में अपने प्रवास के दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने एक बहुत ही गंभीर विषय पर चिंता प्रकट करते हुए राष्ट्र के समक्ष एक प्रश्न रखा कि हमारे विद्यालयों में ज्ञानदायिनी ग्रंथों (रामायण, महाभारत, भगवत गीता) के पठन-पाठन पर रोक क्यों है? जबकि मदरसों में कुरान और मिशनरी स्कूलों में बाईबल के अध्ययन पर कोई रोक नहीं.

शंकराचार्य कोन्नगर राज राजेश्वरी सेवा मठ में गोपाष्टमी एवं आंवला नवमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे. जगत गुरु ने वर्तमान समय में आतंकवाद, महिलाओं के प्रति अत्याचार तथा युवा पीढ़ी में बढ़ती नशाखोरी पर भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन्हीं कारणों से सनातनी हिंदू युवा अपनी संस्कृति और कर्तव्य से विमुख होता जा रहा है.

उन्हें उचित मार्ग पर लाने हेतु सुदर्शन चक्र की पूजन और ज्ञानदायिनी ग्रंथों का अध्ययन आवश्यक है. उन्होंने कहा कि श्रीराम और श्रीकृष्ण की यह भूमि है और उनका जीवन चरित्र ही हमारे लिए आदर्श है. अतः उसका पठन-पाठन सभी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से होना चाहिए. उक्त अवसर पर मठ में शंकराचार्य के निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद जी, कैवल्यानंद ब्रह्मचारी, ब्रह्म विद्यानंद ब्रह्मचारी, मठ के प्रभारी सत्चित स्वरूप ब्रह्मचारी, श्रीधर द्विवेदी, अभिराम झा, शरद शिवहरे, हेमंत तोषनीवाल सहित अन्य भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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