कोलकाता. जूट का प्रयोग जल्द ही सड़कों के निर्माण में होगा. इसके लिए इंडियन रोड कांग्रेस को पूरी रिपोर्ट सौंपी गयी है, जिसकी अनुमति मिलने के बाद इसका उपयोग सड़क निर्माण में सरकारी रूप से अनिवार्य हो सकता है. इसके अलावा जूट का उपयोग नदी के किनारे बाड़ व मिट्टी का कटाव रोकने के बांध में होगा.
इंडियन जूट रिसर्च एशोसिएशन, इंडियन जूट मिल एसोसिएशन व नेशनल जूट बोर्ड की ओर से आयोजित सेमिनार में इस आशय की जानकारी दी गयी. इसमें बताया गया कि वर्तमान में असम व उत्तर पूर्व में इस तरह की परियोजनाओं पर काम चल रहा है. जिस तरह से गोल्डेन फाइबर माना जानेवाला यह बायोडिग्रेडिबल प्रोडक्ट के बहुआयामी उपयोग पर लगातार शोध हो रहा है उससे यह तय है कि जूट का स्वर्णकाल एक बार फिर से आनेवाला है. अगर केंद्र सरकार व राज्य सरकार इस दिशा में पर्याप्त पहल करे तो जूट मिलों की तालाबंदी का दौर समाप्त हो सकेगा.
नेशनल जूट बोर्ड के सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में शोध का काम जारी है. अरूणाचल प्रदेश व गुवाहाटी में इस विषय पर सेमिनर आयोजित हो चुका है व चेन्नई तथा हैदराबाद में आने वर्ष में इसका आयोजन होगा.
इस नेचुरल फाइबर के उपयोग के आधार पर ही इसका भविष्य निर्भर करता है. इस सेमिनार में इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलाजी दिल्ली से आये डाॅ जीवी राव ने भी इस प्राकृतिक रेशे के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. इस अवसर पर मुख्य रूप से इंडियन जूट रिसर्च एसोसिएशन के चेयरमैन एके लोहिया, जूट मिल एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन जीआर वर्मा, सचिव सौरभ गांगुली व अन्य उपस्थित थे.
बरानगर कांड
विवाहिता की अस्वाभाविक मौत की सीआइडी जांच की मांग
कोलकाता़ उत्तर 24 परगना जिले के बरानगर इलाके में एक विवाहिता की संदिग्ध मौत का मामला प्रकाश में आया है. मृतका के माता-पिता ने उसके ससुरालवालों पर उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि योजनाबद्ध तरीके से उनकी बेटी की हत्या की गयी है. मृतका का नाम संयुक्ता सेन बताया गया है. उसके मायकेवालों ने इसकी सीआइडी जांच की मांग की है़
प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2001 में केस्टोपुर निवासी संयुक्ता सेन का बरानगर निवासी पलास सेन से परिचय हुआ था. कुछ महीनों बाद ही दोनों ने शादी कर ली. आरोप है कि शादी के कुछ महीने बाद ही उसके ससुरालवालों ने पैसे की मांग शुरू कर दी.
मांग पूरी नहीं होने पर उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा. गत 12 अक्तूबर को बरानगर थाने से अचानक संयुक्ता के पिता के मोबाइल पर फोन आया कि आपकी बेटी थाने के बाहर गंभीर अवस्था में बैठी हुई है. इसकी सूूचना पाकर वे तत्काल वहां पहुंचे और देखा कि संयुक्ता की तबीयत काफी खराब है. इसके बाद उसे आरजीकर अस्तपाल में भरती कराया गया.
वहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे एक गैर सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया जहां कुछ दिनों बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. 20 अक्टूबर को बरानगर थाने में ससुरालवालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी. मृतका के मायकेवालों का आरोप है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने संयुक्ता के ससुरालवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.