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हाइटेक अपराध : अब फिरौती भी हो गयी ऑनलाइन

कोलकाता: समय के साथ हर चीज बदलती है तो भला अपराध का तरीका क्यों न बदले. डरा-धमका कर फिरौती का धंधा अरसे से चला आ रहा है, लेकिन कुछ दिमागी अपराधी यह धंधा ऑनलाइन चला रहे हैं. साइबर अपराधी पलक झपकते ही लोगों से लाखों, करोड़ों रुपये ठग लेते हैं. इन दिनों महानगर में रैंसमवेयर […]

कोलकाता: समय के साथ हर चीज बदलती है तो भला अपराध का तरीका क्यों न बदले. डरा-धमका कर फिरौती का धंधा अरसे से चला आ रहा है, लेकिन कुछ दिमागी अपराधी यह धंधा ऑनलाइन चला रहे हैं. साइबर अपराधी पलक झपकते ही लोगों से लाखों, करोड़ों रुपये ठग लेते हैं. इन दिनों महानगर में रैंसमवेयर वायरस का खतरा काफी बढ़ गया है. इस वायरस की चपेट में आकर लोग दफ्तर के कंप्यूटर से जरूरी फाइलें एवं जानकारियों से हाथ धो रहे हैं. फिर दोबारा उक्त फाइलों की रिकवरी एवं रिपेयर के बहाने ठगे जा रहे हैं. कोलकाता पुलिस के साइबर थाना में ऐसी काफी शिकायतें आ रही हैं.
क्या है मामला : कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कई कंपनी बड़ी डील की अहम जानकारी और जरूरी फाइल अपने दफ्तर के कंप्यूटर में सेव रखती हैं. शिकायत मिल रही कि इंटरनेट ऑन करते ही एंटी वाइरस कंपनी या अन्य नाम से ईमेल आता है. मेल में दिये गये फोल्डर या लिंक में क्लिक कर तुरंत एंटी वायरस अपडेट करने को कहा जाता है. जैसे ही अधिकारी या कर्मचारी लिंक पर क्लिक करते हैं तो कंप्यूटर में सेव अधिकतर फाइलें क्रप्ट हो जाती हैं. इसके दो से पांच मिनट के अंदर फिर से एक ईमेल आता है. इसमें क्रप्ट डेटा रिकवरी व रिपेयर करने के बदले रुपये की मांग की जाती है. महत्वपूर्ण डाटा वापस पाने के लिए ईमेल में दिये गये अकाउंट नंबर पर कंपनी अधिकारी ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करवा देते हैं. लेकिन 80 प्रतिशत मामलों में रुपये देने के बावजूद क्रप्ट फाइलें सुरक्षित वापस नहीं मिलतीं. इसके बाद पीड़ित साइबर थाना शिकायत दर्ज कराते हैं.
बचाव का तरीका
एंटी वायरस बनाने वाली महानगर की एक कंपनी के रिजनल सपोर्ट मैनेजर (पूर्वी क्षेत्र) अरविंद सिंह बताते हैं कि इस तरह के मेल को महत्व ना दें. अगर ऐसी गलती हो गयी है तो फिर जिस कंपनी का एंटी वायरस इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके कस्टमर नंबर पर फोन कर पूरी जानकारी उसके कर्मियों को दें.
इस तरह की शिकायतें उन्हें भी मिल रही हैं. ऐसी शिकायतें मिलने पर वह तीन से पांच घंटे में अपने कंपनी के बैकअप सपोर्ट के जरिये महत्वपूर्ण जानकारियां वापस लाने की कोशिश करते हैं, कई बार इसमें वह सफल हो जाते हैं.
क्या कहती है पुलिस
कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (एसटीएफ) व अतिरिक्त भार (अपराध) विशाल गर्ग ने बताया कि इस तरह की घटनाएं कानूनी रूप से एक तरह का एक्सटॉर्शन है. इंटरनेट के जरिये इस तरह से अधिकारियों से फिरौती मांगी जा रही है. मेरे पास इस तरह की जितनी शिकायतें आयी है, उसमें मिले सबूतों को फॉरेंसिक लैब में भेजकर उसकी मदद से अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे है. मेरी अपील की है कि लोग खुद को सतर्क रखेें. अनजान आईडी से भेजे गये ईमेल पर ध्यान ना दें.

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