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डीपीएल का पुनर्विकास करना चाहती है सरकार
राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने की उच्चस्तरीय बैठक कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की सरकार अपनी दूसरी पारी के आगाज के साथ ही यहां औद्योगिक विकास में जुटी हुई है. वर्षों से खस्ताहाल में चल रही दुर्गापुर पावर लिमिटेड (डीपीएल) का राज्य सरकार पुनर्विकास करना चाहती है. इस संबंध में शनिवार को राज्य के […]
राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने की उच्चस्तरीय बैठक
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की सरकार अपनी दूसरी पारी के आगाज के साथ ही यहां औद्योगिक विकास में जुटी हुई है. वर्षों से खस्ताहाल में चल रही दुर्गापुर पावर लिमिटेड (डीपीएल) का राज्य सरकार पुनर्विकास करना चाहती है.
इस संबंध में शनिवार को राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने विधानसभा में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें डीपीएल के संबंध में प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की गयी है. प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर ही बहुत जल्द द्वितीय चरण की बैठक होगी, जिसमें राज्य के श्रम व कानून मंत्री मलय घटक और वित्त मंत्री अमित मित्रा भी उपस्थित रहेंगे. इसके बाद वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी इस बारे में बातचीत करेंगे.
बैठक के बाद बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने बताया कि दुर्गापुर पावर लिमिटेड में एक हजार स्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि अस्थायी कर्मचारियों की संख्या लगभग 400 है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सख्त निर्देश है कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं हटाया जायेगा, इसलिए किस प्रकार से सभी श्रमिक व कर्मचारियों को काम दिया जाये, फिलहाल इस पर ही विचार-विमर्श किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि डीपीएल कंपनी की भी अपनी बहुत संपत्ति है, इसलिए उन संपत्तियों को बेच कर इसे बचाया जा सकता है या नहीं, इस पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा पीपीपी मॉडल पर डीपीएल को स्पेशल पैकेज देकर पुनर्विकास किया जा सकता है या नहीं, इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बिजली मंत्री ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो एक्सपर्ट कमेटी गठित की जायेगी. कमेटी के माध्यम से इसका सर्वे कराया जायेगा.
अिधकारियों संग बैठक
बिजली मंत्री ने एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक भारत भूषण के साथ भी बैठक की. जहां कटवा में बनाये जानेवाले ताप विद्युत केंद्र को लेकर चर्चा की गयी. इस संबंध में एनटीपीसी ने रिपोर्ट जमा की है, जिसमें बताया गया है कि यहां जमीन को लेकर कोई समस्या नहीं है. जमीन अधिग्रहण में स्थानीय विधायक व सांसदों ने काफी मदद की है. कोयला लाने व पर्यावरण विभाग की अनुमति मिलते ही इस योजना का काम शुरू हो जायेगा.
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