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विवादों व दावों में बीत गये दो साल

कोलकाता: सारधा घोटाले के साये में ममता बनर्जी की सरकार ने सोमवार को तीसरे साल में कदम रख दिया. सरकार के दो वर्ष के कामकाज पर जहां एक ओर विपक्षी दल लगातार निशाना बना रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार ने कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर काम किया है. […]

कोलकाता: सारधा घोटाले के साये में ममता बनर्जी की सरकार ने सोमवार को तीसरे साल में कदम रख दिया. सरकार के दो वर्ष के कामकाज पर जहां एक ओर विपक्षी दल लगातार निशाना बना रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार ने कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर काम किया है. इस दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान तृणमूल सरकार लगातार एक विवाद से दूसरे विवाद में उलझती रही, पार्टी के नेताओं और मुख्यमंत्री समेत सरकार के कई मंत्रियों के बयान भी इन दो वर्षों में सुर्खियों में छाये रहे. एक जनसभा के दौरान शिलादित्य चौधरी नामक किसान को मुख्यमंत्री द्वारा माओवादी बता कर गिरफ्तार करवाना और एक चैनल के इंटरव्यू के दौरान छात्र को माओवादी कहते हुए कार्यक्रम से उठ कर चले जाने की घटना इन विवादों में से हैं.

वहीं एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल पर इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नकल उतारने, अपने सुरक्षा कर्मी एवं कुछ प्रेस फोटोग्राफरों को सरेआम थप्पड़ मारने की धमकी दे कर तो उन्होंने सभी सीमाओं को तोड़ दी. नदिया जिला के तेहट्टा एवं वीरभूम जिला के लोबा में लोगों पर पुलिस फायरिंग भी उनके कार्यकाल के यादगार घटनाओं में शामिल है. पुलिस फायरिंग में एक की मौत हुई थी एवं कई घायल हुए थे. गार्डेनरीच इलाके में एक कॉलेज की छात्र यूनियन के चुनाव के दौरान बदमाशों द्वारा चलायी गयी गोली से पुलिस सब-इंस्पेक्टर तापस चौधरी की मौत पर भी खूब हंगामा हुआ. इस मामले में तृणमूल पार्षद मो. इकबाल अभी तक जेल में बंद हैं.

वहीं तृणमूल के एक और पार्षद शंभुनाथ काउ भी एक तृणमूल कर्मी की हत्या के आरोप में जेल में दिन गुजार रहे हैं. माकपा के छात्र संगठन एसएफआइ नेता सुदीप्त गुप्ता की रहस्मयीय हालत में हुई मौत का मामला अभी तक नहीं सुलझा है. तृणमूल कांग्रेस के एक और पार्षद पर प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक लैबोरेटरी में तोड़फोड़ का आरोप है. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अग्रिम जमानत लिए घूम रहे हैं. बंगाल के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला सारधा चिटफंड घोटाला ममता बनर्जी की सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज साबित हुआ है. इस घोटाले में तृणमूल के कई वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों व सांसदों के शामिल होने का आरोप है.

इन सब विवादों के बावजूद बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार की सराहना करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा दावा हड़ताल की संस्कृति को समाप्त करने और घटिया कार्य संस्कृति में सुधार लाना है. इसके साथ ही उनका यह भी दावा है कि तृणमूल सरकार ने महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों समेत समाज के सभी वर्ग के विकास के लिए अपनी ताकत से बढ़ कर काम किया है.

जिसके कारण उन्हें समाज के सभी वर्ग का समर्थन पहले की तरह ही हासिल है. एक सोशल नेटवर्किग साइट पर ममता बनर्जी ने दावा किया है कि 2012-13 में बंगाल ने सकल घरेलू उत्पाद, कृषि, उद्योग एवं सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर से बढ़ कर काम किया है. मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि इस वर्ष उनकी सरकार ने 32000 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया, जो 2012 के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है.

अपने इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि मनरेगा के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है. अपने इन दावों के बीच दो वर्ष पूरे होने की खुशी में सरकार जम कर उत्सव मना रही है. राज्य सरकार के सभी 30 विभाग सभी जिलों में सेमिनार, प्रदर्शनी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लगातार आयोजन कर रहे हैं. बड़े-बड़े विज्ञापन दे कर भी गुनगान किया जा रहा है.

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