इस संबंध में ज्वांयट एक्शन कमेटी ऑफ वेस्ट बंगाल बेकर्स एसोसिएशन के सचिव व तृणमूल सांसद इदरीस अली ने दावा किया कि रिपोर्ट पूरी तरह गलत व भ्रामक है. यह जानबूझ कर तैयार की गयी है. इससे लोगों में एक डर-सा बन गया है, जिसका सीधा असर बेकरी उद्योग पर पड़ रहा है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कई छोटे-छोटे पावरोटी कारखानों में उत्पादन बंद हो गया है. श्री अली ने दावा किया कि पावरोटी तैयार करनेवाली छोटे व मझाेले कारखानों में पोटैशियम ब्रोमेट एवं पोटैशियम आयोडेट का इस्तेमाल नहीं होता है. यह पूरी तरह गलत प्रचार है, जिससे बेकरी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
Advertisement
ब्रेड में घातक रसायन पाये जानेवाली सीएसई की रिपोर्ट से बेकरी उद्योग को भारी नुकसान
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसइ) ने विगत सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार देश में बिकने वाले ब्रेड, बन्स, बर्गर और पिज्जा के 38 पॉपुलर ब्रांड में से करीब 84 फीसदी सैंपल टेस्ट फेल हो गया था. ज्यादातर पॉपुलर ब्रांड पोटेशियम ब्रोमैटेड और आयोडेट टेस्ट में पॉजिटिव पाये गये थे. इस […]
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसइ) ने विगत सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार देश में बिकने वाले ब्रेड, बन्स, बर्गर और पिज्जा के 38 पॉपुलर ब्रांड में से करीब 84 फीसदी सैंपल टेस्ट फेल हो गया था. ज्यादातर पॉपुलर ब्रांड पोटेशियम ब्रोमैटेड और आयोडेट टेस्ट में पॉजिटिव पाये गये थे. इस रिपोर्ट का असर बेकरी उद्योग पर पड़ा है. इससे 30% उत्पादन प्रभावित हो गये हैं, जबकि कई कारखाने बंद हो गये हैं.
कोलकाता : बेकरी में तैयार होनेवाली रोटी (पावरोटी) में कैंसर होनेवाली रसायन पाये जाने की खबर सामने आने के बाद बेकरी उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है. गौरतलब है कि सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरन्मेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बाजार में आमतौर पर उपलब्ध पावरोटी के 38 ब्रांड में से लगभग 80 प्रतिशत में जांच के दौरान पोटाशियम ब्रोमेट एवं पोटाशियम आयोडेट नामक रसायन की भारी मात्रा पायी गयी. यह दोनों रसायन दुनिया के अधिकतर देशों में प्रतिबंधित हैं.
जांच में यह पाया गया है कि इन रसायनों के इस्तेमाल से कैंसर होने की आशंका होती है. यह जांच दिल्ली के लगभग सभी टॉप ब्रांड के नमूनों से की गयी थी.
उन्होंने कहा कि सीएसई ने अपनी जांच के लिए पावरोटी के नमूने केवल दिल्ली से इकट्ठा किया था. कोलकाता से एक भी नमूना नहीं लिया गया है. इसलिए दिल्ली की जांच रिपोर्ट के आधार पर पूरे देेश की पावरोटी उत्पादन पर उंगली उठाना उचित नहीं है. वेस्ट बंगाल बेकर्स को-आॅर्डिनेशन कमेटी के सचिव शेख इसमाइल हुसैन ने बताया कि राज्य रोजाना 10-12 लाख पाउंड पावरोटी का उत्पादन होता है. इसमें से अकेले कोलकाता में ही रोजाना पांच लाख पाउंड पावरोटी की जरूरत पड़ती है.
यह रिपोर्ट सामने आने के बाद से छोटे उत्पादकों में आतंक पैदा हो गया है आैर कई ने उत्पादन भी बंद कर दिया है. जिसकी वजह से 30 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित हो रहा है. पश्चिम बंगाल में लगभग चार हजार पावरोटी उत्पादन इकाईयां हैं, जिनमें से 3500 छोटे कारखाने हैं, जबकि 450 मंझोली एवं ब्रिटानिया, मॉडर्न जैसी 50 बड़ी इकाईयां हैं.
निगम ने ब्रेड सैंपल को जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा
ब्रेड में कथित घातक केमिकल की मौजूदगी की बात सामने आने पर इस मसले को लेकर कोलकाता नगर निगम भी तत्पर हो गया है. निगम के अंर्तगत आने वाले 144 वार्डों से ब्रेड के कुछ सैंपल को कलेक्ट किया गया है. इनकी जांच केंद्रीय लेबोरेटरी में कराया जायेगा. यह जानकारी मेयर परिषद सदस्य (स्वास्थ्य) अतिन घोष ने दी. उन्होंने बताया कि ब्रेड के सैंपल एकत्रित करने की लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. महानगर के विभिन्न इलाकों से सैंपल को एकत्रित कर इसकी जांच करायी जायेगी. इस दौरान सैंपल में किसी भी तरह के घातक केमिकल पायेे जाने की बात सामने आने पर ब्रेड बनानेवाली कंपनी के खिलाफ निगम की ओर से कानूनी कार्रवाई की जायेगी. ध्यान रहे कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसइ) ने विगत सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार देश में बिकने वाले ब्रेड, बन्स, बर्गर और पिज्जा के 38 पॉपुलर ब्रांड में से करीब 84 फीसदी सैंपल टेस्ट फेल हो गया था. ज्यादातर पॉपुलर ब्रांड पोटेशियम ब्रोमैटेड और आयोडेट टेस्ट में पॉजिटिव पाये गये थे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement