राममोहन कॉलेज की प्रोफेसर उत्तमा राय का कहना था कि प्रश्न उठ रहे हैं कि जेयू के छात्रों ने कानून को अपने हाथों में क्यों लिया, लेकिन वे कानून को हाथ में क्यों न लें? क्या पुलिस के ऊपर भरोसा किया जा सकता है? छात्रों की उम्र कम है. स्वाभाविक है कि वह प्रतिवाद करेंगे.
उनका प्रतिवाद अन्याय नहीं है. उत्तमा राय ने दावा किया कि कैंपस में ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ फिल्म पूरी दिखायी गयी थी. उसे जबरन बंद नहीं कराया गया. केवल कुछ काले झंडे दिखाये गये और नारेबाजी की गयी, लेकिन एबीवीपी द्वारा हंगामा करने के बाद ही हालात काबू से बाहर हुए. एबीवीपी द्वारा की गयी जवाबी एफआइआर में जेयू के छात्र सुशील मांडी का नाम लिया गया है.
सुशील मांडी का कहना था कि कैंपस में हजारों छात्र थे. केवल उसे ही क्यों निशाना बनाया गया. घटना के दिन मौके पर मौजूद सीयू की छात्रा सुदेशना दत्त गुप्ता ने दावा किया कि सुशील मांडी को आदिवासी होने के कारण निशाना बनाया गया. सुदेशना ने भाजपा नेत्री रूपा गांगुली की भूमिका की भी निंदा की. डॉ मोइदुल इसलाम का कहना था कि पूरे मामले पर तृणमूल की खामोशी काफी कुछ कहती है. संसद में तो वह भाजपा के साथ ही है. जेयू के मामले में भी अभी तक उसने एक शब्द नहीं कहा है. मीरातुन नाहर के मुताबिक, भाजपा, आरएसएस और एबीवीपी देश में सांप्रदायिकता फैलाना चाहती है. मेहर इंजीनियर ने भाजपा को फासीवादी शक्ति बताया.