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भूमि, औद्योगिकीकरण अब भी सिंगूर में प्रमुख चुनावी मुद्दे
हुगली. टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना को गुजरात में स्थानांतरित किये जाने के आठ साल बाद भी सिंगूर के विधानसभा चुनाव में भूमि और औद्योगिकीकरण प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. सिंगूर में 30 अप्रैल को मतदान होगा. नैनो कारखाने का उजाड़ ढांचा अब भी सिंगूर के राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के किनारे यहां हुई राजनीतिक उथल-पुथल […]
हुगली. टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना को गुजरात में स्थानांतरित किये जाने के आठ साल बाद भी सिंगूर के विधानसभा चुनाव में भूमि और औद्योगिकीकरण प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. सिंगूर में 30 अप्रैल को मतदान होगा.
नैनो कारखाने का उजाड़ ढांचा अब भी सिंगूर के राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के किनारे यहां हुई राजनीतिक उथल-पुथल का मूकदर्शक बनकर खड़ा हुआ है. इस कारखाने के लिए ‘जबरन’ भूमि अधिग्रहण नीति के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व में पूर्व वाम मोरचा सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया गया था, जिसने तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल की सत्ता में पहुंचाने के लिए उत्प्रेरक का काम किया.
माकपा-कांग्रेस गंठजोड़ के प्रत्याशी रोबिन देव अब नैनो मुद्दे पर अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं. जाहिर है वह सिंगूर के लोगों को याद दिलाना चाहते हैं कि नैनो परियोजना के स्थानांतरण के साथ ही उन्हें उन्नति और विकास तक पहुंचानेवाली बस भी छूट गयी है.
तृणमूल कांग्रेस ने सिंगूर विधानसभा सीट से 83 वर्षीय रवींद्रनाथ भट्टाचार्य को चुनाव मैदान में उतारा है. लोग उन्हें प्यार से ‘मास्टरमोशाय’ (अध्यापक) कहते हैं.
उन्होंने 2011 के चुनाव में माकपा प्रत्याशी को करीब 35,000 मतों से शिकस्त दी थी. वर्ष 2011 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस पार्टी के साथ गंठबंधन किया था. भूमि को संवेदनशील मुद्दा मानते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि उनकी सरकार ‘अनिच्छुक’ किसानों को भूमि वापस किये जाने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि माकपा सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने मुख्यमंत्री के बयान का खंडन करते हुए कहा कि अब भूमि को वापस किया जाना संभव नहीं है.
श्री मिश्रा ने कहा : यदि हमारा गंठबंधन सत्ता में आता है, तो हम मामले वापस ले लेंगे और यहां के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग स्थापित करेंगे. हालांकि 2011 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से यहां तृणमूल के बेहतर स्थिति में होने के संकेत मिलते हैं.
क्या-क्या हैं मुद्दे : सिंगूर की बंजर पड़ी जमीन : चुनाव में सिंगूर की बंजर परित्यक्त जमीन मुद्दा है. ममता बनर्जी ने चुनावी सभा में कहा : जमीन उनके हाथ में है. वह जमीन किसानों को लौटाकर रहेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि वह जो कहती हैं, उसे पूरा करती हैं. और जमीन लौटाने का काम भी वह पूरा करेंगी. बस कुछ दिन कोर्ट में चल रहे मामले की वजह से किसानों को अपनी जमीन पाने के लिए इंतजार करना होगा.
तापसी मालिक मामले भी उठे : चुनाव के दौरान अचानक फिर से तापसी मालिक प्रसंग भी राजनितिक दलों को भी याद आ गये. और खुद माकपा के वरिष्ठ नेता रोबिन देव चुनाव प्रचार करते हुए तापसी मालिक के घर पहुंच गये और उनके पिता मनोरंजन मालिक से मिल कर वोट देने की अपील की.
क्या है सिंगूर की पृष्ठभूमि
2006 में टाटा के प्रस्तावित नैनो कारखाने की 991 एकड़ जमीन का जबरन अधिग्रहण का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने लिया था. इसका विरोध में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने किया. ममता ने वहां कई दिनों तक भूख आंदोलन किया था. इस आंदोलन में तापसी भी शामिल हुई थी. आंदोलन के दौरान ही तापसी का शव 18 दिसंबर 2006 को जली हुई हालत में बरामद हुआ था. तब आंदोलन और जोर पकड़ा. इसी आंदोलन के बाद बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस एक साथ हुए और वाम मोरचा के 34 सालों की सत्ता को उखाड़ फेंका.
क्या कह रहे हैं उम्मीदवार
सिंगूर की इस जमीन को परित्यक्त है. किसानों को वापस नहीं मिली है. नैनो कारखाना गुजरात चला गया. गांव के युवा बेरोजगार हैं.
राेबिन देव, उम्मीदवार, माकपा
सिंगूर में सरकारी कॉलेज, कृषक बाजार, सड़क निर्माण, पेय जल की व्यवस्था, बिजली व्यवस्था आदि हुए हैं. ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य का विकास हुआ है.
रवींद्रनाथ भट्टाचार्य, उम्मीदवार, तृणमूल कांग्रेस
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