सोहिनी की तरह पूजा भी 2011 विधानसभा चुनाव में ही मैदान में कूद पड़ी थीं. वह भी अन्य नेता संतानों की तरह परदे के पीछे से ही काम करना पसंद करती हैं. पूजा अपनी मां के लिए फेसबुक पर प्रचार अभियान चला रही हैं. चौरंगी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के हेवीवेट नेता सोमेन मित्रा के बेटे रोहन मित्रा भी अपने पिता को कामयाब बनाने के लिए जमकर मेहनत कर रहे हैं. एक मल्टीनेशनल कंपनी की बेहतरीन नौकरी छोड़ कर रोहन ने पूरी तरह पिता की चुनावी कमान संभाल रखी है.
युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ रोहन की खूब पटती है आैर वह लगातार उनके साथ बैठक कर रणनीति तय करने में व्यस्त रहते हैं. माकपा सांसद मो सलीम भले ही विधानसभा चुनाव के दंगल में नहीं हैं, लेकिन वाम मोरचा उम्मीदवारों को कामयाब बनाने के लिए वह दिन-रात काम कर रहे हैं. उनके इस काम में खड़गपुर आइआइटी में पीएचडी कर रहे उनके बड़े बेटे रसेल अजीज भी हाथ बंटा रहे हैं. रसेल वाम मोरचा के आइटी वाररुम के साथ संपर्क में हैं आैर जरूरत के अनुसार हरसंभव मदद उपलब्ध करा रहे हैं.
इन दिनों सुर्खियों में छाये दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा आत्रेयी घोष विख्यात वकील व कांग्रेस नेता अरुणाभ घोष की बेटी हैं. आत्रेयी ने विधाननगर से कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे अपने पिता अरुणाभ घोष के वाररुम को पूरी तरह संभाल रखा है.
वह भी सोशल मीडिया के द्वारा लोगों से संपर्क बना कर अपने पिता को कामयाब बनाने का अभियान चला रही हैं. पिता के फेसबुक अकाउंट को अपडेट रखना एवं व्हाट्सएेप पर प्रचार चलाना आत्रेयी की ही जिम्मेदारी है. राजनीति की इस बिसात में तृणमूल के शोभनदेव चट्टाेपाध्याय के बेटे सप्तर्षि भी पीछे नहीं हैं. वह भी अपने पिता के साथ लोगों के घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. मजे की बात यह है कि सोमेन मित्रा के बेटे रोहन के अलावा इनमें से कोई भी राजनीति को अपना पेशा बनाने की इच्छा नहीं रखता है. अपने-अपने पिता को कामयाब बनाने के लिए ये लोग चुनावी जंग का हिस्सा बन गये हैं. चुनाव खत्म होते ही इन हेवीवेट नेताआें के बच्चे अपने-अपने फील्ड में वापस लौट जायेंगे.