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बोले प्रबोध पांडा: वामो-कांग्रेस में सीट बंटवारे का मसला जल्द सुलझेगा

कोलकाता. अगले महीने से राज्य में शुरू होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले वाममोरचा और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझ जायेगा. करीब 20 से 22 सीटों को लेकर कुछ समस्याएं हैं लेकिन करीब 95 प्रतिशत सीटों पर आपसी सहमति बन गयी है. यह बात भाकपा के राज्य सचिव प्रबोध पांडा ने कही. […]

कोलकाता. अगले महीने से राज्य में शुरू होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले वाममोरचा और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझ जायेगा. करीब 20 से 22 सीटों को लेकर कुछ समस्याएं हैं लेकिन करीब 95 प्रतिशत सीटों पर आपसी सहमति बन गयी है. यह बात भाकपा के राज्य सचिव प्रबोध पांडा ने कही. वे शुक्रवार को प्रेस क्लब कोलकाता में विधानसभा चुनाव के मसले पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

पांडा ने कहा कि राज्य की मौजूदा स्थिति काफी विषम है. यही वजह है कि राज्य में सत्ता से तृणमूल कांग्रेस को हटाने के लिए वाममोरचा और कांग्रेस के बीच समझौता किया गया. पहले भाकपा द्वारा समझौता का विरोध किये जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि स्थिति के अनुसार फैसला भी बदलता है. राज्य में वामपंथी दलों के अलावा अन्य विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़े हैं. उन्हें दबाने की लगातार कोशिश की जा रही है. इतना ही नहीं राज्य के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने की कोशिश भी की जा रही है. राज्य का औद्योगिक विकास थम गया है. किसानों और श्रमिक वर्ग की स्थिति समय के साथ बदतर होती जा रही है.

आरोप के अनुसार ऐसा महज तृणमूल के पांच सालों के शासनकाल में हुआ है. जनहित के लिए कांग्रेस ने वाममोरचा के स्लोगन ‘तृणमूल हटाओ बंगाल बचाओ और भाजपा हटाओ देश बचाओ’ का समर्थन किया. यदि कांग्रेस वामपंथी आंदोलन के पक्ष में है तो राज्य की विषम परिस्थिति से निबटने के लिए वामपंथी दलों को क्यों आपत्ति होगी. न्यूज पोर्टल ‘नारद न्यूज डॉट काम’ के स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तृणमूल के कई दिग्गज नेताओं को रुपये लेते हुए दिखाया गया है.

इस मसले को लेकर कथित तौर पर तृणमूल के एक आला नेता द्वारा इसे अनुदान करार दिये जाने के प्रश्न पर पांडा ने कहा कि अनुदान की इतनी राशि नियम के तहत चेक मेें ली जाती है क्योंकि उसका कर देना पड़ता है. यदि अनुदान ही लिया गया है तो तृणमूल कांग्रेस स्टिंग ऑपरेशन मामले की जांच कराये. इसकी निष्पक्ष जांच होनी भी चाहिए क्योंकि सच्चाई लोगों को पता चलना चाहिए. यदि इसमें तृणमूल नेता दोषी पाये गये तो उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए. हालांकि राज्य के लोग काफी समझदार हैं. उन्हें अनुदान व दान का मतलब मालूम है.

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