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दिग्गज नेता अशोक घोष नहीं रहे

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पहली वाम सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाले फॉरवर्ड ब्लाक के दिग्गज नेता अशोक घोष का गुरुवार को निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. घोष के श्वसन तंत्र के निचले भाग में संक्रमण के बाद उन्हें दो फरवरी को अस्पताल में भरती कराया गया था. बाद […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पहली वाम सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाले फॉरवर्ड ब्लाक के दिग्गज नेता अशोक घोष का गुरुवार को निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. घोष के श्वसन तंत्र के निचले भाग में संक्रमण के बाद उन्हें दो फरवरी को अस्पताल में भरती कराया गया था.
बाद में उनकी स्थिति बिगड़ गयी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. घोष सात दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे. माकपा के दिवगंत नेता व पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बाद अशोक घोष सबसे वरिष्ठ वामपंथी नेता थे. उनके निधन से केवल फॉरवर्ड ब्लाॅक ही नहीं बल्कि पूरा राजनीतिक जगत और जन आंदोलन से जुड़े तमाम लोग शोकाकुल हैं. रविवार को घोष की इच्छानुसार, पुरुलिया में उन्हें समाधि दी जायेगी. राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जायेगी.राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जायेगी.
शनिवार को निकलेगी शोक यात्रा: अस्पताल सूत्रों के अनुसार, गुरुवार सुबह 11.25 बजे दिग्गज नेता अशोक घोष ने अंतिम सांस ली. चिकित्सकों ने बताया कि कई अंगों के काम करना बंद कर देने से उनका निधन हो गया. घोष के निधन की सूचना मिलते ही अस्पताल में नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा. फारवर्ड ब्लॉक नेता नरेन चटर्जी, वरूण मुखर्जी, देबब्रत राय, युवा लीग के नेता श्रीकांत सोनकर के नेतृत्व में अस्पताल से अशोक घोष का पार्थिव शरीर अपराह्न 3.30 बजे पीस हेवन लाया गया. पार्टी नेताओं ने बताया कि शुक्रवार चार मार्च को उनके शव को पीस हेवन में ही रखा जायेगा. पांच मार्च शनिवार की सुबह नौ बजे दिवंगत नेता के पार्थिव शरीर को पीस हेवन से फारवर्ड ब्लॉक राज्य कमेटी के मुख्यालय हेमंत बसु भवन में लाया जायेगा.
वहां सुबह 11 बजे तक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जायेगी. उसके बाद हेमंत बसु भवन से शोक यात्रा निकाली जायेगी जो महानगर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए श्यामबाजार पांच माथा मोड़ के निकट समाप्त होगी. घोष को शेष श्रद्धा स्वरूप नेताजी मूर्ति पर माल्यार्पण किया जायेगा. उसके बाद श्यामबाजार से बीटी रोड से डनलप दक्षिणेश्वर होते हुए पार्थिव शरीर को हुगली के चुंचुड़ा स्थित उनके जन्मस्थान पर ले जाया जायेगा. चुंचुड़ा से शाम चार बजे दुर्गापुर हाइवे से घोष के शव को पुरुलिया फारवर्ड ब्लॉक पार्टी आफिस लाया जायेगा. घोष के पार्थिव शरीर को पांच मार्च की रात वहां रखा जायेगा. छह मार्च यानी रविवार को पुरुलिया फारवर्ड ब्लॉक पार्टी ऑफिस से उनके शव को नेताजी सुभाष आश्रम ले जाया जायेगा. सूत्रों के अनुसार घोष की इच्छानुसार उनकी समाधि वहीं दी जायेगी.
राजकीय सम्मान के साथ पुरुलिया में होगी फॉरवर्ड ब्लॉक नेता की अंत्येष्टि
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर अशोक घोष राजनीति मे आये.
1952 में घोष को पहली बार फॉरवर्ड ब्लाक के राज्य सचिव के रूप में चुना गया. राज्य में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान घोष ने कम्युनिस्टों के साथ मिलकर सरकार के लिए चुनौतियां उत्पन्न कीं, जिसके बाद उन्हें एक प्रमुख नेता के रूप में प्रसिद्वि मिली
घोष ने ज्योति बसु और प्रमोद दासगुप्ता के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में 1977 को पहली वामपंथी सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. यह सरकार 2011 तक सत्ता में रही.
वाम मोरचा को संगठित करने की वकालत करने वाले घोष मोरचा की गलत नीतियों की आलोचना में भी कभी पीछे नहीं रहे. सिंगूर में जमीन अधिग्रहण पर उन्होंने सरकार की आलोचना की.

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