कई एजेंटों की संपत्तियों को दबाव देकर बिक्री कराया गया है. अब शासक दल ने उम्मीदवार की घोषणा की है. इससे वह क्या प्रमाणित करना चाहते हैं. क्या सारधा घोटाला हुआ ही नहीं है? लेकिन जनता ही इस संबंध में अपने मतों के जरिये फैसला करेगी. संवाददाताओं से बातचीत में श्री भट्टाचार्य ने कांग्रेस व माकपा के संभावित पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह ‘प्रेमविहीन प्यार’ है और यह अधिक दिनों तक नहीं टिकेगा. दोनों ही पार्टियां राज्य व देश भर में अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं. राज्य में तृणमूल का विकल्प केवल भाजपा ही है.
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मदन की उम्मीदवारी: घोषणा से गरमायी राजनीति, भाजपा ने कहा जनता नहीं करेगी माफ
कोलकाता: कमरहट्टी से एक बार फिर मदन मित्रा को उम्मीदवार बनाने की तृणमूल की घोषणा के बाद विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है. भाजपा विधायक शमीक भट्टाचार्य ने कहा कि इस घोषणा से तृणमूल यह साबित करना चाहती है कि मानो सारधा घोटाला हुआ ही नहीं है. सारधा का पैसा किसके पास […]
कोलकाता: कमरहट्टी से एक बार फिर मदन मित्रा को उम्मीदवार बनाने की तृणमूल की घोषणा के बाद विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है. भाजपा विधायक शमीक भट्टाचार्य ने कहा कि इस घोषणा से तृणमूल यह साबित करना चाहती है कि मानो सारधा घोटाला हुआ ही नहीं है. सारधा का पैसा किसके पास गया यह महत्वपूर्ण नहीं, जरूरत यह देखने की है कि सारधा में किसका पैसा गया. इस घोटाले की वजह से 111 लोगों ने आत्महत्या की है. हजारों एजेंट घरों को छोड़ने को मजबूर हुए हैं.
सारधा घोटाला मामले में जेल में बंद है मदन मित्रा
कोलकाता: तृणमूल नेता व राज्य के मंत्री साधन पांडे ने कहा है कि कमरहट्टी से मदन मित्रा के विधानसभा चुनाव के लिए फिर से उम्मीदवार घोषित किया जाना कोई गलत नहीं है. संवाददाताओं से बातचीत में श्री पांडे ने कहा कि इसमें असामान्य कुछ नहीं है. पूर्व में भी कई बड़े नेताओं ने जेल से ही चुनाव लड़ा है और जीत भी हासिल की है.
उल्लेखनीय है कि तृणमूल की ओर से कमरहट्टी से मदन मित्रा को फिर से उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की गयी है. सारधा घोटाले में मदन मित्रा जेल में बंद हैं.
इधर रविवार को कमरहट्टी इलाके में मदन मित्रा के बेटे को कंबल वितरण कार्यक्रम में देखा गया. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मदन मित्रा की ओर से इसे चुनाव प्रचार ही माना जा सकता है.
सारधा घोटाले में कभी बैकफुट पर पहुंचनेवाली तृणमूल कांग्रेस इस मामले में राजनीतिक प्रतिहिंसा का आरोप लगाते हुए आक्रामक मुद्रा में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. जानकारों के मुताबिक सारधा घोटाले में सीबीआइ की धीमी जांच उसके इस रुख को और बल दे रहा है.
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