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नाकतला प्रकरण : जरूरत पड़ी तो सेना तैनात की जायेगी
कोलकाता: नाकतला में एक भूखंड को कब्जेदारों से मुक्त कराने में सरकारी मशीनरी के नाकाम रहने पर बुधवार को कोलकाता हाइकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने राज्य सरकार, पुलिस आयुक्त और कोलकाता नगर निगम की भूमिका पर सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो भूखंड को कब्जेदारों […]
कोलकाता: नाकतला में एक भूखंड को कब्जेदारों से मुक्त कराने में सरकारी मशीनरी के नाकाम रहने पर बुधवार को कोलकाता हाइकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने राज्य सरकार, पुलिस आयुक्त और कोलकाता नगर निगम की भूमिका पर सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो भूखंड को कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए सेना तैनात की जा सकती है.
गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर पिछले शुक्रवार को नाकतला के 153 सी एनएससी बोस रोड स्थित जमीन के एक टुकड़े को कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए पुलिस पहुंची. खुद पुलिस आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ मौजूद थे. मौके पर संयुक्त आयुक्त, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, उपायुक्त व खुफिया विभाग के प्रमुख भी उपस्थित थे. लेकिन तृणमूल पार्षद सुष्मिता दाम के पति भास्कर दाम ने कब्जेदारों को हटाने की सूरत में मौके पर केरोसिन और माचिस लेकर आत्महत्या की धमकी देने लगे. लिहाजा पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा था. इस संबंध में अदालत को बुधवार को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया. इसके बाद न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी की. अदालत का कहना था कि पुलिस आयुक्त के सामने किसी ने आत्महत्या की कोशिश की और वह (पुलिस आयुक्त) मूक व बधिर की तरह चुपचाप देखते रहे. उन्हें ऐसी कोशिश करने वाले को गिरफ्तार करना चाहिए था. यह देखना पड़ेगा कि पुलिस क्यों असफल रही.
कोई पुलिस आयुक्त के सामने आत्महत्या की धमकी देता है और आयुक्त चुपचाप रहते हैं, यह अपराध है. सरकार को कब्जेदारों को हटाना होगा. अदालत इस संबंध में कड़े कदम उठायेगी. जरूरत पड़ने पर सेना को तैनात किया जायेगा. पुलिस आयुक्त की मौजूदगी में अदालत के निर्देश का पालन नहीं हुआ. कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है. कानून-व्यवस्था की स्थिति ही ध्वस्त हो गयी है. राज्य सरकार जमीन की रक्षा करने में नाकाम हो रही है. समूची कड़ी जुड़ी हुई है. कोलकाता नगर निगम अवैध काम कर रहा है. क्या किसी को पांच, एसएन बनर्जी रोड (कोलकाता नगर निगम मुख्यालय) में आकर उसे वहां रहने दिया जायेगा. एक इंच भी जमीन क्या वहां छोड़ी जायेगी. क्या किसी को राइटर्स या नबान्न (राज्य सचिवालय) में ऐसा करने दिया जायेगा. सरकार की छवि को देखने की जरूरत है. यदि जरूरत पड़ी तो अन्य कदम भी अदालत उठायेगी. अदालत ने इसके लिए सरकार को आखिरी मौका दिया है. सरकार यदि जमीन अधिग्रहण करना चाहती है तो वह कानूनी तरीके से कर सकती है. इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इसकी जानकारी अदालत को देनी होगी. अगली सुनवाई अगले वर्ष 14 जनवरी को होगी. गौरतलब है कि नाकतला में लीना दत्त की 39 कट्ठे की जमीन को पूर्व की वाममोरचा सरकार ने 2010 में अधिग्रहित किया था. हालांकि तीन वर्ष तक जमीन पर कोई सरकारी काम न होने पर लीना दत्त ने हाइकोर्ट में अपील की. अदालत ने राज्य सरकार को लीना दत्त को भूखंड वापस करने का निर्देश दिया. लेकिन जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा जमा लिया है. पिछले शुक्रवार को भूखंड को कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची, लेकिन वह नाकाम रही.
क्या कहती है पुलिस
इस मामले में कोलकाता पुलिस के विशेष अतिरिक्त व संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) राजीव मिश्रा ने बताया कि अदालत के आदेश की लिखित प्रति उन्हें नहीं मिली है. लिखित प्रति मिलने पर अदालत के आदेशानुसार कोलकाता पुलिस काम करेगी.
क्या है मामला
नाकतला स्थित जमीन के एक प्लॉट का निगम ने अधिग्रहण किया था, पर जिस काम के लिए अधिग्रहण हुआ था, वह परियोजना पूरी नहीं हो पायी, इसलिए जमीन के वास्तविक मालिक ने अपनी जमीन की वापसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने मालिक के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए वह प्लॉट उसके हवाले करने का निर्देश दिया था, पर उस जमीन पर एक स्थानीय क्लब ने कब्जा जमा कर उसे मैदान का रुप दे दिया. पुलिस जब उस जमीन का अतिक्रमण उठाने के लिए पहुंची तो स्थानीय पार्षद के पति ने अपने आप को जला कर आत्महत्या करने की धमकी दे डाली थी, जिसे देखते हुए पुलिस वापस लौट आयी. उस समय वहां खुद पुलिस कमिश्नर भी मौजूद थे.
हाइकोर्ट में अपना पक्ष रखेगा नगर निगम
कोलकाता. हाइकोर्ट की फटकार ने पुलिस व नगर निगम के होश उड़ा दिये हैं. अदालत की टिप्पणी पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए मेयर शोभन चटर्जी ने बुधवार को कहा कि हमें जो भी कुछ कहना होगा, वह अदालत में कहेंगे. 14 जनवरी को मामले की फिर सुनवाई होगी. उस दिन हम लोग उच्च न्यायालय के सामने अपना पक्ष स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे. मेयर ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, उसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है. यह बात अदालत को बताने की कोशिश की जायेगी.
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