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बेमौत मर रहे हैं गजराज,पर्यावरण प्रेमियों की उड़ी नींद

सिलीगुड़ी: डुवार्स के जंगलों में ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है. रेलवे तथा वन विभाग द्वारा किये जा रहे तमाम दावों के बीच डुवार्स के जंगलों के दंतैल हाथी बेमौत मर रहे हैं. यही वजह है कि पिछले छह वर्षों में ट्रेन से कटकर 36 से भी अधिक हाथियों की मौत […]

सिलीगुड़ी: डुवार्स के जंगलों में ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है. रेलवे तथा वन विभाग द्वारा किये जा रहे तमाम दावों के बीच डुवार्स के जंगलों के दंतैल हाथी बेमौत मर रहे हैं. यही वजह है कि पिछले छह वर्षों में ट्रेन से कटकर 36 से भी अधिक हाथियों की मौत हो चुकी है. हाथियों की लगातार मौत की घटना ने पर्यावरण प्रेमियों की नींद उड़ा दी है. सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल के पर्यावरण प्रेमी हाथियों की मौत को लेकर चिंता में हैं.
सिलीगुड़ी तथा अलीपुरद्वार के बीच ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत का सिलसिला वर्ष 2004 के बाद से शुरू हुआ. पहले इक्का-दुक्का हाथियों की मौत होती थी, लेकिन 2009 के बाद से लगातार हाथियों की मौत हो रही है. वर्ष 2013 में तो 16 हाथियों की मौत हो गयी थी. दरअसल इस समस्या की शुरूआत सिलीगुड़ी तथा अलीपुरद्वार के बीच मीटरगेज रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के बाद हुई. सिलीगुड़ी के प्रमुख पर्यावरण प्रेमी तथा हाथियों के लिए काम कर रहे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सदस्य राज बसु का कहना है कि मीटरगेज को ब्रॉडगेज में बदलने के निर्णय का उन लोगों ने विरोध किया था. मीटरगेज लाइन से हाथियों को उतना अधिक खतरा नहीं था, जितना कि रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के बाद शुरू हुआ है. 1974 से वर्ष 2002 तक मीटरगेज के रहने तक 29 वर्षों में ट्रेन से कटकर मात्र 27 हाथियों की मौत हुई थी. 2004 में ब्रॉडगेज होने के बाद हाथियों के मौत का सिलसिला लगातार जारी है.

श्री बसु ने कहा कि वन क्षेत्र से ब्रॉडगेज रेलवे लाइन का अपने आप में गुजरना ही अवैध है. सिलीगुड़ी तथा अलीपुरद्वार के बीच रेलवे लाइन पूरी तरह से वन क्षेत्र के अंदर है. यह लाइन महानंदा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, कालिम्पोंग फॉरेस्ट डिवीजन, चपड़ामारी फॉरेस्ट डिवीजन, गोरूमारा नेशनल पार्क, जलपाईगुड़ी फॉरेस्ट डिवीजन, कूचबिहार फॉरेस्ट डिवीजन तथा बक्सा टाइगर रिजर्व होकर गुजरती है.

भारत में कहीं भी ऐसा उदाहरण नहीं है जहां रेलवे लाइन इतने अधिक वन क्षेत्र के अंदर से गुजरती हो. राज बसु ने कहा कि जिस समय मीटरगेज रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज रेलवे लाइन में बदलने का निर्णय लिया गया था, तभी उन्होंने तथा अन्य पर्यावरण एवं पशु प्रेमियों ने इसका विरोध किया था.

ग्रीन ट्रिब्यूनल में इसको लेकर एक शिकायत भी दर्ज करायी गयी थी. तब ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रेलवे, पर्यावरण एवं वन तथा राज्य सरकार के वन मंत्रालय को लेकर एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने ब्रॉडगेज लाइन शुरू करने से पहले कई सिफारिशें दी थीं और इन्हीं सिफारिशों के आधार पर ट्रेनों को चलाने का निर्देश दिया था. बाद में इन निर्देशों की पूरी तरह से अनदेखी की गयी. उसके बाद फिर से हाईकोर्ट में उन्होंने तथा अन्य पर्यावरण प्रेमियों ने एक मामला दायर कर दिया. कमोबेश इसी तरह की घटनाएं ओड़िशा में भी कई स्थानों पर हो रही थी. ओड़िशा के पर्यावरण प्रेमी संजीव पाणिग्रही ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था. बसु ने कहा कि उन्होंने तथा हीरक नंदी, कर्नल शक्तिरंजन बनर्जी, सव्यसाची चक्रवर्ती, पर्यावरणविद ध्रुव ज्योति घोष तथा वाइल्ड लाइव फोटोग्राफर राजरिषी बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दायर कर दिया. तब हाइकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि इसी तरह से मिलता-जुलता एक मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और वह लोग सुप्रीम कोर्ट में जाकर याचिका दायर करें.

हालांकि हाईकोर्ट ने रेलवे तथा वन विभाग को कई आदेश भी जारी किया. बसु ने कहा कि सिलीगुड़ी तथा अलीपुरद्वार जंक्शन के बीच ट्रेन को चलाने में हाईकोर्ट के आदेश की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है. हाईकोर्ट ने साफ तौर पर रात में मालगाड़ी नहीं चलाने तथा ट्रेनों की स्पीड प्रति घंटे 30 किलोमीटर से अधिक नहीं होने का निर्देश दिया है. रविवार को ट्रेन से कटकर जिस हाथी की मौत हुई है, उसकी जांच से स्पष्ट है कि मालगाड़ी के धक्के से यह दर्दनाक घटना घटी. ट्रेन की स्पीड भी 30 किलोमीटर से अधिक रही होगी, क्योंकि हाथी को रेलवे पटरी से करीब 50 फीट दूर पाया गया. ट्रेन के धक्के से ही हाथी उतना दूर जाकर गिरा होगा.

सर्वे से अद्भूत खुलासा: राज बसु ने बताया कि डुवार्स में ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत को लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने एक सर्वे कराया था. उसके अनुसार, दिन में ट्रेन से कटकर हाथियों के मौत की घटना मात्र 17.19 प्रतिशत है. रात में यही आंकड़ा बढ़कर 82.81 प्रतिशत हो गया है. हाथियों की जितनी भी मौत हुई है, उनमें से अधिकांश मामलों में मालगाड़ियों से कटकर हुई है. नियमित गुजरने वाली ट्रेनों से हाथियों की मौत की घटना काफी है. हाथी या तो मालगाड़ी या फिर अनियमित समय सारिणी से चलने वाली विशेष ट्रेनों की वजह से हुई है.
किन वन क्षेत्रों से गुजरती है रेल की पटरी
सिलीगुड़ी तथा अलीपुरद्वार जंक्शन के बीच करीब एक दशक पहले मीटरगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज में बदल दिया गया है. यह लाइन महानंदा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, कालिम्पोंग फॉरेस्ट डिवीजन, चपड़ामारी फॉरेस्ट डिवीजन, गोरूमारा नेशनल पार्क, जलपाईगुड़ी फॉरेस्ट डिवीजन, कूचबिहार फॉरेस्ट डिवीजन तथा बक्सा टाइगर रिजर्व होकर गुजरती है.
क्या है हाईकोर्ट का निर्देश
कलकत्ता हाईकोर्ट ने रात के समय इस रेल लाइन पर मालगाड़ी नहीं चलाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा ट्रेनों की स्पीड प्रति घंटा 30 किलोमीटर रखने तथा सभी ट्रेन के आगे वाच ट्रेन चलाने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हाथियों की मौत रोकने के लिए रेलवे तथा राज्य वन विभाग के बीच समन्वय रखने के लिए भी कहा है. आरोप है कि इस पूरे निर्देश की अनदेखी की जा रही है.
क्या है पर्यावरण प्रेमियों की मांग
राज बसु तथा अन्य पर्यावरण प्रेमियों ने हाइकोर्ट के निर्देशों को पूरी तरह से लागू करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि रेलवे तथा वन विभाग के बीच समन्वय का पूरी तरह से अभाव है. वन विभाग द्वारा हाथियों की गतिविधियों की जानकारी रेलवे द्वारा नहीं दी जाती है. जबकि अलीपुरद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन पर अलग से कंट्रोल रूम तक की स्थापना की गयी है. दूसरी तरफ रेलवे के ड्राइवर स्पीड लिमिट होने के बाद भी तेज गति से ट्रेन चलाते हैं. रात के समय भी मालगाड़ियों की आवाजाही हो रही है. उन्होंने शाम 5.30 बजे से सुबह 5.30 बजे तक इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही बंद करने की मांग की.

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