उधर, राज्य सरकार ने टीइटी अब तीन अक्तूबर के बजाय 11 अक्तूबर को कराने का फैसला िलया है. परीक्षा में 23 लाख अभ्यर्थियों के बैठने की संभावना है. माना जा रहा है िक इस पूरे प्रकरण से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी से नाराज बतायी जाती हैं. टीइटी को लेकर राज्य सरकार की किरकिरी हो रही है.
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टीइटी: सरकार को कोर्ट का झटका
कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार को करारा झटका लगा है. अदालत ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) का समय एक घंटा बढ़ाने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति गिरीश गुप्ता और न्यायमूर्ति एसएस साधू की खंडपीठ ने परीक्षा का समय डेढ़ घंटे से बढ़ाकर ढाई घंटे करने का निर्देश दिया है. उधर, राज्य सरकार ने टीइटी […]
कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार को करारा झटका लगा है. अदालत ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) का समय एक घंटा बढ़ाने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति गिरीश गुप्ता और न्यायमूर्ति एसएस साधू की खंडपीठ ने परीक्षा का समय डेढ़ घंटे से बढ़ाकर ढाई घंटे करने का निर्देश दिया है.
अदालत का आदेश ऐसे समय आया है जब एक अभ्यर्थी ने याचिका दायर करके दावा किया कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने इस तरह की सभी परीक्षाओं के लिए ढाई घंटे का समय तय किया है. अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा परीक्षा के लिए तय डेढ घंटे का समय नियमों के अनुरुप नहीं है. राज्य में टीइटी परीक्षा 30 अगस्त को होनी थी लेकिन प्रश्नपत्र कथित रूप से लीक होने पर इसे स्थगित कर दिया गया था. परीक्षा तिथि पहले तीन अक्तूबर तय की गयी लेकिन सोमवार को राज्य सरकार ने इसे बढ़ा कर 11 अक्तूबर कर दिया.
गौरतलब है कि 2013 के नौ अप्रैल को एनसीटीइ के दिशानिर्देश के तहत कहा गया था कि परीक्षा ढाई घंटे की होगी. यह छह महीने तक के लिए किया गया था. गत वर्ष 18 फरवरी को वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने टीइटी कराने का फैसला किया था. हालांकि परीक्षा ली नहीं गयी थी. इस संबंध में अधिसूचना इस वर्ष 25 मई को जारी की गयी. इधर, एनसीटीइ ने गत वर्ष 22 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि अगली अधिसूचना तक परीक्षा ढाई घंटे तक करनी होगी. हालांकि गत 25 मई की परीक्षा संबंधी अधिसूचना में राज्य सरकार ने परीक्षा को डेढ़ घंटे का ही करने का फैसला किया था. इसपर राजा चटर्जी नाम के परीक्षार्थी ने कलकत्ता हाइकोर्ट में मामला दायर किया था. गत जुलाई में दायर इस याचिका को न्यायाधीश देवांशु बसाक की एकल पीठ ने खारिज कर दिया था. बाद में इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी गयी. खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य व विक्रम बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार ने, केंद्रीय मानव संसाधान विकास मंत्रालय की 2015 के एक अप्रैल की अधिसूचना, जिसमें कहा गया है कि परीक्षा में प्रशिक्षित व गैर प्रशिक्षित दोनों ही बैठ सकते हैं, को तो स्वीकार कर लिया लेकिन एनसीटीइ की 2014 के 22 अप्रैल की परीक्षा को अगली अधिसूचना तक ढाई घंटे करने की अधिसूचना को स्वीकार नहीं किया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद परीक्षा को ढाई घंटे की अवधि का करने का फैसला किया.
डाक कर्मी व बस चालक से पूछताछ
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के गायब हुए प्रश्नपत्रों के मामले की जांच शुरू करते हुए सीआइडी ने सोमवार को बस के चालक और हेल्पर से पूछताछ की. सीआइडी सूत्रों के मुताबिक, प्रश्नपत्र ले जाने वाली बस की सुरक्षा कर रहे दो कांस्टेबलों से भी पूछताछ की जायेगी. सीआइडी अधिकारियों का कहना है कि बस चालक स्वप्न बसु और हेल्पर उज्ज्वल कुंडू से पूछताछ की गयी. बस की सुरक्षा में तैनात कांस्टेबल चिन्मय मंडल और हिमाद्री शेखर विश्वास से भी पूछताछ करेंगे. प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टेट परीक्षा का आयोजन रविवार को होना था. कुछ प्रश्नपत्र गायब हो जाने के बाद राज्य सरकार ने इस परीक्षा को चार अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दिया. बाद में नवान्न की बैठक में इस परीक्षा को 11 अक्तूबर को कराने का निर्णय किया गया. सीआइडी अधिकारी बताते हैं कि प्रश्नपत्रों को ले जाने की प्रक्रिया में शामिल हर व्यक्ति से पूछताछ की जायेगी. इसमें देखना होगा कि किसने, कहां, कैसे और क्या कमी छोड़ी कि इतने सारे लोगों की मौजूदगी के बावजूद प्रश्नपत्र कैसे गायब हो गये. इस मामले में किसी बाहरी प्रभावी हाथ की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा रहा. वहीं इस मामले में डाक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डाक विभाग के दो अधिकारियों- अरुप दास और अरुप मुखर्जी के खिलाफ ‘‘विभागीय जांच’ पहले ही शुरू की जा चुकी है. ये दोनों अधिकारी प्रश्नपत्रों को श्रीरामपुर ले जा रही बस में सवार थे. हुगली के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर वितरित किये जानेवाले टेट प्रश्नपत्रों को 154 बैगों में भर कर राज्य शिक्षा विभाग के सॉल्टलेक स्थित कार्यालय से श्रीरामपुर ले जाया जा रहा था. इन प्रश्नपत्रों को ले जाने का भार डाक विभाग के हाथ में था, जबकि राज्य के परिवहन विभाग ने बसें उपलब्ध करवायी थी. श्रीरामपुर पहुंचने पर टेट प्रश्नपत्रों से भरा एक बैग गायब था.
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