न्यायमूर्ति गिरीश गुप्ता और न्यायमूर्ति शिव साधन साधु की खंडपीठ में वकील एसके कपूर ने जब जमानत याचिका का उल्लेख किया, तो खंडपीठ ने व्यक्तिगत कारणों से खुद को इससे अलग कर लिया और कहा कि उनकी पीठ करोड़ों रुपये के सारधा घोटाले से जुड़े किसी मामले की सुनवाई नहीं करेगी. यह तीसरा मौका है, जब मदन मित्रा की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई नहीं की और जिसमें न्यायाधीशों ने व्यक्तिगत कारणों से मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया है.
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सारधा घोटाला: मदन मित्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई का मामला, फिर जज ने किया इनकार
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक पीठ ने राज्य के पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा की जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. मदन मित्रा को सारधा घोटाले में कथित मिलीभगत को लेकर सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था. न्यायमूर्ति गिरीश गुप्ता और न्यायमूर्ति शिव साधन साधु की खंडपीठ में वकील एसके […]
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक पीठ ने राज्य के पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा की जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. मदन मित्रा को सारधा घोटाले में कथित मिलीभगत को लेकर सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था.
अब चीफ जस्टिस के पास जायेगा मामला
इससे पहले, न्यायाधीश असीम राय व न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने भी व्यक्तिगत कारणों के चलते जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था. यह मामला अब किसी और पीठ को सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर के पास जायेगा. मदन मित्रा की जमानत याचिका इससे पहले कई मौकों पर जिला अदालतों ने खारिज कर दी है. वह 215 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं. श्री मित्रा फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, लेकिन स्वास्थ्य आधार पर उन्हें सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में रखा गया है.
सभी चिटफंड मामलों की एक साथ सुनवाई 31 को
कलकत्ता हाइकोर्ट में 31 जुलाई को उन सभी चिटफंड से जुड़े मामलों की एक साथ सुनवाई होगी, जिनकी याचिका हाइकोर्ट में लंबित है. कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने इस संबंध में निर्देश दिया है. एमपीएस से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह निर्देश दिया. इस संबंध में खंडपीठ ने यह भी कहा है कि इन सभी मामलों से जुड़ी कंपनियों के दो-दो प्रतिनिधियों को अदालत में 31 जुलाई को मौजूद रहना होगा. जिन कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहेंगे, उन्हें सीबीआइ के जरिये कैसे हाजिर कराया जाये यह अदालत को पता है. खंडपीठ ने यह भी कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कई कंपनियां अपनी संपत्ति बेच दे रही हैं. 31 जुलाई की सुनवाई के बाद ऐसा निर्देश दिया जायेगा कि वे कंपनियां अवैध तरीके से अपनी संपत्ति को बेच न सकें.
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