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भारत-बांग्लादेश सीमा पर नदी पर बांध का काम बंद

मालदा: जिले के भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट नदी में बांध बनाने का काम काफी अरसे से रूका हुआ है. बोर्डर गार्ड ऑफ बांग्लादेश (बीजीबी) की आपत्ति की वजह से बांध निर्माण का काम नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से बरसात के समय नदी कटाव की स्थिति काफी विकराल होने की संभावना है. राज्य […]

मालदा: जिले के भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट नदी में बांध बनाने का काम काफी अरसे से रूका हुआ है. बोर्डर गार्ड ऑफ बांग्लादेश (बीजीबी) की आपत्ति की वजह से बांध निर्माण का काम नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से बरसात के समय नदी कटाव की स्थिति काफी विकराल होने की संभावना है. राज्य सिंचाई विभाग को इस काम में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब आठ महीने से सिंचाई विभाग के कर्मचारी बांध बनाने का काम नहीं कर पा रहे हैं. 1 जनवरी 2014 को महानंदा तथा पुनरभवा नदी के कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग ने बांध निर्माण का काम शुरू किया था. सिंचाई विभाग तथा बीएसएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 6 किलोमीटर तक नदी बांध बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने 51 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. करीब 75 प्रतिशत काम पूरा भी हो गया है.

राज्य सरकार ने अपने दम पर काम की शुरूआत तो कर दी, लेकिन केन्द्र सरकार ने अब तक मंजूर धनराशि राज्य सरकार को नहीं दिया है. इस बीच, बांग्लादेशी अधिकारियों ने दो स्थानों पर बांध निर्माण का काम रूकवा दिया है. सिंचाई विभाग के एक इंजीनियर ने बताया है कि हबीबपुर थाना अंतर्गत अनुराधापुर में पुनरभवा नदी पर दो किलोमीटर बांध तथा आसरापुर में महानंदा नदी पर 11 सौ मीटर बांध का निर्माण बीजीबी की आपत्ति की वजह से शुरू नहीं हो सका. इस मुद्दे को लेकर बीजीबी तथा बीएसएफ के बीच तीन बार फ्लैग मीटिंग हो चुकी है.

उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. 25 जून को बीएसएफ ने इस मुद्दे को लेकर बीजीबी को एक चिट्ठी भी लिखी और शीघ्र ही फ्लैग मीटिंग करने का अनुरोध बांग्लादेशी अधिकारियों से किया. बांग्लादेश के बीजीबी की ओर से अब तक फ्लैग मीटिंग के लिए तिथि निर्धारित नहीं की गई है. सिंचाई विभाग का कहना है कि यदि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान नहीं होता है, तो इस इलाके में बांध निर्माण का काम रोक देंगे.

सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता अमरेश कुमार सिंह ने बताया है कि वर्ष 2010 में दिल्ली में दोनों देशों के संयुक्त रिवर कमीशन की बैठक में दोनों ही देशों ने सीमावर्ती नदियों पर बांध बनाने का निर्णय लिया था. उसके बाद ही वर्ष 2011 में मालदा जिले के महानंदा तथा पुनरभवा नदी में कंक्रीट से बांध बनाने का निर्णय लिया गया. वर्ष 2013 में दोनों देशों के ज्वाइंट रिवर कमीशन ने इसकी मंजूरी दे दी. केन्द्र सरकार ने इसके लिए धन भी मंजूर कर लिया. राज्य सिंचाई विभाग ने 1 जनवरी 2014 से यहां बांध निर्माण का काम शुरू कर दिया. वर्ष 2015 में काम खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. यह काम समय पर पूरा हो जाता, लेकिन दो स्थानों पर बीजीबी द्वारा बाधा दिये जाने के कारण काम पूरा नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह समस्या तो है ही, इसके साथ ही केन्द्र सरकार मंजूर किये जाने के बाद भी धनराशि नहीं दे रही है. इस बीच, बीएसएफ 114 नंबर बटालियन के कमांडेंट अमर एक्का ने कहा है कि इस मुद्दे को लेकर बीजीबी के साथ कई बार फ्लैग मीटिंग हुई है. उसके बाद भी वह लोग काम में बाधा दे रहे हैं. इस पूरे मामले की जानकारी दिल्ली को भी दे दी गई है. उन्होंने कहा कि यदि समय पर बांध निर्माण का काम पूरा नहीं होगा, तो काफी नुकसान होने की संभावना है. काफी जमीन इन दियों के गर्भ में समा जाने की आशंका बनी हुई है. इधर, सिंचाई विभाग का कहना है कि मालदा में महानंदा तथा पुनरभवा नदी की वजह से कटाव की समस्या ने काफी गंभीर रूप धारण कर लिया है. यदि बांध निर्माण का काम पूरा नहीं किया गया, तो इस वर्ष बरसात में बाढ़ के समय स्थिति और बिगड़ जायेगी.

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