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विज्ञापनों में ममता की तसवीर लगाना चाहती है राज्य सरकार

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकारी विज्ञापनों में किसी नेता, मुख्यमंत्री या मंत्री की तसवीर नहीं लग सकती. सिर्फ देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के मुख्य न्यायाधीश की तसवीर का इस्तेमाल किया जा सकता है, वो भी उनकी अनुमति से. सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार ने रिट याचिका […]

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकारी विज्ञापनों में किसी नेता, मुख्यमंत्री या मंत्री की तसवीर नहीं लग सकती. सिर्फ देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के मुख्य न्यायाधीश की तसवीर का इस्तेमाल किया जा सकता है, वो भी उनकी अनुमति से. सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार ने रिट याचिका दायर की है. नवान्न सूत्र के अनुसार, याचिका कुछ दिनों पहले दिल्ली के रेसिडेंट कमिश्नर ऑफिस के माध्यम से दायर की गयी है.

चूंकि यह विषय राज्य के सूचना व संस्कृति विभाग का है. इस कारण विभाग को कागजात तैयार करने का निर्देश दिया गया है. हालांकि वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है. एक जुलाई को अदालत खुलने के बाद ही इस पर कोई कार्यवाही हो पायेगी.

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार विज्ञापन में मुख्यमंत्री की तसवीर रहने की वकालत करेगी. साथ ही राज्यपाल की तसवीर भी विज्ञापन में रखे जाने की अनुमति देने का आग्रह किया जायेगा. अदालत में राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा जायेगा कि गणतांत्रिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पद का अलग-अलग महत्व है.

प्रधानमंत्री जहां देश के प्रशासनिक प्रधान हैं. वहीं, मुख्यमंत्री राज्य के प्रशासनिक प्रधान हैं. इस कारण तसवीर के संबंध में देश व राज्य के लिए अलग-अलग निर्देश क्यों होगा. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ही जनता के वोट से जीत कर आते हैं और दोनों ही जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसी स्थिति में दोनों के लिए अलग-अलग नियम क्यों होगा. वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि केंद्र सरकार की अपनी कुछ योजनाएं होती हैं. उसी तरह से राज्य सरकार की भी अपनी कुछ जन कल्याणकारी योजनाएं होती है.

ये योजनाएं पृथक-पृथक फंड से संचालित होती हैं, जिनका संचालन क्रमश: केंद्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग होता है. ऐसी स्थिति में अलग-अलग मापदंड नहीं होना चाहिए. विज्ञापन में केवल तसवीर ही नहीं होती है, वरन निर्देशिका भी होती है, जिससे आम लोगों को सुविधाएं मिल सके.

वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हाल में सरकारी विज्ञापनों की संख्या में इजाफा हुआ है. पहले सूचना व संस्कृति विभाग द्वारा जारी विज्ञापन का फंड 30 करोड़ रुपये था, लेकिन अब यह राशि बढ़ कर 200 करोड़ हो गयी है.

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