कोलकाता : देश में वर्तमान समय में औसतन 106 मिलियन टन धान का उत्पादन होता है और वर्ष 2030 तक यह मात्रा बढ़ कर 156 मिलियन टन हो जायेगी. लेकिन उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अच्छी किस्म के धान के बीज का प्रयोग करना होगा. क्योंकि बीज के क्षेत्र में निवेश काफी कम है और छोटे किसान इसके लिए निवेश नहीं कर पाते हैं. इसलिए एफपीओ व एफआइजी को इस ओर आगे बढ़ना होगा और यहां उत्तर श्रेणी के बीज उत्पादन पर जोर देना होगा. यह बातें बुधवार को राज्य के कृषि व कृषि विपणन विभाग के प्रधान सचिव डा आरएस शुक्ला ने ‘ इंडिया राइस कंक्लेव 2015 ‘ के दौरान कही. उन्होंने कहा कि बंगाल धान उत्पादन मेंे पहले स्थान पर है, लेकिन यहां भी अच्छी क्वालिटी के बीज की जरूरत है, जिससे यहां का उत्पादन और बढ़ेगा. इस मौके पर मुख्यमंत्री के कृषि मामलों के सलाहकार पीके मजूमदार ने कहा कि अगर बंगाल में उत्तर श्रेणी के धान की बीज का प्रयोग किया जाये तो यहां धान के उत्पादन में 25 प्रतिशत की वृद्धि होगी. बंगाल में धान उत्पादन की मात्रा सही है, लेकिन किसानों को उनके उपज की सही कीमत नहीं मिलती है, हमें इस ओर भी ध्यान देना होगा. इस मौके विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रोफेसर असीम कुमार चक्रवर्ती, विश्व भारती यूनिवर्सिटी के प्रो- उप कुलपति प्रोफेसर स्वपन कुमार दत्ता, आइसीएआर (फसल) के महानिदेशक डा जेएस संधु ने भी अपने विचार रखे. इस मौके पर आइसीसी की एग्रि बिजनेस के चेयरमैन रूद्रा चटर्जी व संयुक्त निदेशक मधुपर्णा भौमिक ने अतिथियों का स्वागत किया.
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2030 तक 156 मिलियन टन धान को होगा उत्पादन
कोलकाता : देश में वर्तमान समय में औसतन 106 मिलियन टन धान का उत्पादन होता है और वर्ष 2030 तक यह मात्रा बढ़ कर 156 मिलियन टन हो जायेगी. लेकिन उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अच्छी किस्म के धान के बीज का प्रयोग करना होगा. क्योंकि बीज के क्षेत्र में निवेश काफी […]
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