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स्वार्थ से परे परमार्थ की कथा ही राम कथा : प्रेम भूषण

हावड़ा. मनुष्य का शरीर देव दुर्लभ है. इस शरीर का सदुपयोग करना चाहिए. राम के चरित्र को अपने अंदर उतार कर जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए. साधक भक्त को कभी संशय में नहीं रहना चाहिए. सेवक ही स्वामी बनने की इच्छा रख सकता है. विकास संस्कार समन्वित होना चाहिए. क्षण भर का सत्संग जीव का […]

हावड़ा. मनुष्य का शरीर देव दुर्लभ है. इस शरीर का सदुपयोग करना चाहिए. राम के चरित्र को अपने अंदर उतार कर जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए. साधक भक्त को कभी संशय में नहीं रहना चाहिए. सेवक ही स्वामी बनने की इच्छा रख सकता है. विकास संस्कार समन्वित होना चाहिए. क्षण भर का सत्संग जीव का परमात्मा के प्रति स्नेह जगा देता है. स्वार्थ से परे परमार्थ की कथा ही राम कथा है. हावड़ा के श्याम गार्डेन में आयोजित रामकथा के अंतिम दिन भक्तों को संबोधित करते प्रेम भूषण महाराज ने यह बातें कहीं. समापन दिवस पर महेंद्र कुमार जालान, राम भुवाल तिवारी, भरत शर्मा व्यास, अजीत पांडेय, मधुसूधन मिश्रा, नंद कुमार दुबे, श्याम बिहारी सिंह, शेष नाथ पाठक, धनपाल मिश्रा, शिव शंकर सिंह, विरेंद्र गुप्ता को मंच पर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के आयोजक राजनजी ने बताया कि आयोजन को सफल बनाने में अशोक ठाकुर, दया कुमार लिम्मा, विजय इस्सर, रमाकांत पंडित, ओपी तिवारी, मुन्ना तिवारी अन्य ने सक्रिय रहे. संचालन विरेंद्र शर्मा ने किया.

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