यह जरूर है कि यहां शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हाइकोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है. नगरपालिका चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बल की तीन कंपनियां तैनात की जा रही हैं और इस संबंध में विरोधी पार्टियां संवेदनशील बूथों के संबंध में राज्य चुनाव आयोग को जानकारी दे सकती हैं और उनके आधार पर ही इन कंपनियों को तैनात किया जाये.
भाजपा के वकील अभ्रजीत मित्र ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोलकाता नगर निगम के चुनाव के दौरान गड़बड़ियां हुई हैं, इसे राज्य चुनाव आयोग भी स्वीकार रहा है. कितना प्रतिशत मतदान हुआ है, इस बारे में सही जानकारी तक आयोग के पास भी नहीं है, इसलिए सबसे पहले इवीएम को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना चाहिए और तब तक परिणाम स्थगित रखा जाना चाहिए. राज्य चुनाव के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल की 500 कंपनियां मांगी गयी थीं, लेकिन सिर्फ तीन कंपनियां मिली हैं. ऐसे में फिलहाल चुनाव को टाल देना चाहिए, जबकि राज्य चुनाव आयोग के वकील एनसी बिहानी ने हाइकोर्ट को बताया कि राज्य व कोलकाता पुलिस के पास ही पर्याप्त फोर्स है, इसलिए बाहर से फोर्स मंगाने की जरूरत नहीं है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता लक्ष्मी गुप्त ने कहा कि नगरपालिका चुनाव के लिए बाहर से फोर्स मंगाना जरूरी नहीं है.