यह जानकारी प्रदेश एटक के सचिव व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव ने दी. उन्होंने कहा कि आंदोलन का परिणाम है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार टैक्सी रिफ्यूजल मामले में रियायत बरतने को मजबूर हुई. टैक्सी चालकों को महज आंशिक सफलता मिली है. नो पार्किग के नाम पर जुर्माना लगाना, पर्याप्त टैक्सी स्टैंड नहीं होना, चालकों के लिए शौचालय नहीं होना समेत कई ऐसी समस्याएं हैं जो जस की तस बनी हुई हैं.
कोलकाता, हावड़ा व निकटवर्ती इलाकों में पुलिसिया जुल्म बरकरार है. राज्य सरकार लगातार टैक्सी चालकों के हितों की अनदेखी कर रही है. इधर केंद्र सरकार ‘रोड ट्रांसपोर्ट व सेफ्टी बिल’ लाने की तैयारी कर रही है, जो केवल टैक्सी चालक ही नहीं, बल्कि देश के करीब सात करोड़ परिवहन श्रमिकों के हित में नहीं है. दुर्घटना होने पर सारा दोष चालकों पर मढ़ने की तैयारी हो रही है. इस बिल के अनुरूप दुर्घटना होने पर चालकों को लाखों रुपये का मुआवजा देना पड़ेगा, साथ ही उन्हें कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ेगी.
यानी तृणमूल नीत राज्य सरकार व भाजपा नीत केंद्र सरकार का रवैया चालकों के हित में नहीं है. आरोप के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य सरकार व भाजपा शासित केंद्र सरकार की नीति जनविरोधी है. कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के अध्यक्ष एकराम खान का कहना है कि पूरे राज्य में अराजकता की स्थिति व्याप्त है.
टैक्सी चालकों की समस्याएं समाप्त नहीं हुई हैं. बात यदि परिवहन श्रमिकों समेत तमाम श्रमिक वर्ग की हो तो केंद्र सरकार का रवैया भी सही नहीं है. यही वजह है कि एटक समर्थित टैक्सी संगठन चालकों से वामपंथी उम्मीदवारों को सफल बनाने की अपील कर रहा है. यूनियन का चौथा सम्मेलन 19 अप्रैल को होगा. सम्मेलन के दौरान टैक्सी चालकों की समस्याओं के समाधान को लेकर व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी. सम्मेलन को सफल बनाने की अपील भी की गयी है.