कोलकाता: 2009 में दूसरे कैंपस के लिए अधिगृहित जमीन इंफोसिस नहीं छोड़ेगी. भारतीय उद्योग परिसंघ की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं के जवाब में इंफोसिस के कार्यकारी सह-अध्यक्ष व सीआइआइ के अध्यक्ष एस गोपालकृष्णन ने ये बातें कहीं. उल्लेखनीय है कि इंफोसिस ने राजारहाट में 50 एकड़ जमीन के लिए 75 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, लेकिन अभी तक इंफोसिस ने दूसरे कैंपस के लिए काम शुरू नहीं किया है. चूंकि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस सेज का विरोध कर रही है, जबकि इंफोसिस सेज का दर्जा देने की मांग कर रही है.
श्री गोपालकृष्णन ने कहा कि सेज से कंपनियों को कर के रूप में कुछ लाभ मिलता है. कोई भी कंपनी उस लाभ का पाना चाहेगी, यदि उनके प्रतिद्वंद्वियों को वह लाभ मिल रहा है. गौरतलब है कि वाममोरचा के शासन काल में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) को राजारहाट में 40 एकड़ जमीन मिली थी तथा उसे सेज का भी दर्जा दिया गया था.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक सरकार खुद अपना मॉडल तैयार करती है तथा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपना पैकेज देती है. इनमें सेज एक विकल्प है. जरूरी नहीं की सेज ही रही. अन्य माध्यमों से भी निवेश आकर्षित करने के लिए कंपनियों को राहत दी जा सकती है. श्री गोपालकृष्णन ने राज्य सरकार की ओर से निवेश करने के प्रस्ताव का स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ ही स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार को ही उद्योगों के लिए जमीन की व्यवस्था करनी होगी.