उक्त बोगियों की बुकिंग हावड़ा स्टेशन के पार्सल से श्रीगंगानगर स्टेशन तक के लिए हुई थी. ऐसा नहीं कि हावड़ा स्टेशन पर यह पहली घटना है, बल्कि इसी ट्रेन (तूफान एक्सप्रेस) से 31 दिसंबर को कानपुर स्टेशन के लिए बुक हुआ लगेज वैन बोगी संख्या एसआर 10841 दो बार एक जनवरी और पांच जनवरी को हावड़ा स्टेशन से रवाना किया गया. हालत यह है कि पूर्व रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी को भी नहीं पता कि उक्त लगेज बैन अभी कहां है ? रेलवे अधिकारियों के आपसी तालमेल की कमी से जहां कई लगेज बोगियां एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन का चक्कर लगा रही हैं, वहीं कुछ बोगियां (डब्ल्यू आर 058300 और डब्ल्यू सी 10828) ऐसी भी हैं, जिनकी बुकिंग एक और दो जनवरी को हुई थी, लेकिन आज तक उन्हें रवाना नहीं किया गया. इन दोनों बोगियों को टिकियापाड़ा कारशेड में रखा गया है.
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हे प्रभु, कब आयेंगे रेलवे के अच्छे दिन !
हावड़ा: रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेल प्रशासन भले ही यात्रियों की बेहतर सुरक्षा, संरक्षा और सुविधा के हजारों दावे करें, लेकिन कुछ विभागों की लापरवाही के कारण भारतीय रेलवे की छवि धूमिल हो रही है. ऐसी ही लापरवाही हावड़ा स्टेशन के पार्सल विभाग में देखने को मिली, जब हावड़ा-नयी दिल्ली तूफान एक्सप्रेस के लगेज […]
हावड़ा: रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेल प्रशासन भले ही यात्रियों की बेहतर सुरक्षा, संरक्षा और सुविधा के हजारों दावे करें, लेकिन कुछ विभागों की लापरवाही के कारण भारतीय रेलवे की छवि धूमिल हो रही है. ऐसी ही लापरवाही हावड़ा स्टेशन के पार्सल विभाग में देखने को मिली, जब हावड़ा-नयी दिल्ली तूफान एक्सप्रेस के लगेज वैन में बुक हुआ माल एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार हावड़ा स्टेशन से रवाना होने के बाद वापस हावड़ा स्टेशन पहुंच गया. रेलवे की इस लापरवाही के कारण जहां लीज होल्ड और माल के मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं रेलवे को भी भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
31 दिसंबर को हावड़ा स्टेशन से तूफान एक्सप्रेस में रवाना हुआ लगेज वैन संख्या सीआर 08836 और एनआर 02830 बीच रास्ते यानी मुगलसराय स्टेशन से ही ट्रेन के साथ तीन जनवरी को वापस हावड़ा स्टेशन आ गया. हावड़ा स्टेशन पहुंचने पर 4 जनवरी को दोबारा इसे तूफान एक्सप्रेस में लगा कर श्रीगंगानगर स्टेशन के लिए रवाना किया गया, लेकिन इस बार भी यह लगेज वैन अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचा और मुगलसराय स्टेशन से डाउन तूफान एक्सप्रेस से छह जनवरी को फिर से हावड़ा स्टेशन वापस आ गया. इसके बाद तीसरी बार उक्त माल बोगी (लगेज वैन) को सात जनवरी को हावड़ा स्टेशन से तूफान एक्सप्रेस के साथ जोड़ कर भेजी गयी, जिसके फिर से बिना अनलोड किये वापस आने की खबर है.
क्या कहना है अधिकारी का
पूर्व रेलवे के मुख्य वाणिज्य अधिकारी एवी आर मूर्ति से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि उत्तर मध्य रेलवे और पूर्व रेलवे के बीच तालमेल की कमी व कुछ कागजी कार्यवाही में हुई भूल के कारण ऐसा हो गया, लेकिन हमने इसका समाधान निकाल लिया है. जब उन्हें बताया गया कि समस्या का समाधान नहीं हुआ है और डाउन तूफान एक्सप्रेस संख्या एन डब्ल्यू 04830 तीसरी बार लगेज वैन के साथ हावड़ा स्टेशन लौट रही है तो अधिकारी ने फोन काट दिया.
क्या कहना है लीज होल्डरों का
एक लीज होल्डर किशन अग्रवाल ने बताया कि पूर्व रेलवे के इस लापरवाही के कारण तूफान एक्सप्रेस से 31 दिसंबर को रवाना दो लगेज बोगियां और एक जनवरी को रवाना हुई तीन बोगियां तीन-तीन बार मुगलसराय स्टेशन से वापस आ चुकी हैं. रेलवे की इस लापरवाही के कारण हमारा लाखों का सामान दो स्टेशनों हावड़ा और मुगलसराय के बीच चक्कर काट रहा है. किशन बताते हैं कि इससे उन्हें रोजाना लाखों का घाटा सहना पड़ रहा है. इन लगेज वैन में कुछ ऐसे समान भी हैं, जिन्हें ज्यादा दिनों तक पैक कर नहीं रखा जा सकता, लेकिन 31 तारीख को तूफान एक्सप्रेस रवाना हुई लगेज बोगी (एन डब्ल्यू 04830,सीआर 08836) 12 दिन होने के बाद भी अपने गंतव्य स्टेशन श्रीगंगानगर तक नहीं पहुंच पायी है. इसी तरफ एक लीज होल्डर एक के तिवारी बताते हैं कि उनका माल भी तूफान एक्सप्रेस के लगेज वैन एसआर 10841 में एक जनवरी को कानपुर के लिए रवाना हुआ था, वह दो बार हावड़ा स्टेशन वापस आ चुका है जबकि 30 दिसंबर 2014 को एससी 12831 और इआर 12832 लगेज वैन में लोड हुआ माल अभी भी स्टेशन से रवाना ही नहीं हुआ. तिवारी बताते हैं कि इससे प्रत्येक दिन जहां हमें लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है वहीं इससे रेलवे को भी भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
लीज होल्डरों की तरफ से हावड़ा रेल मंडल प्रबंधक और वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक से शिकायत भी की, लेकिन माल कब तक मिलेगा इसका कोई सटीक जवाब नहीं मिला. लीज होल्डरों का कहना है कि ये अधिकारी भले ही समाधान के बारे में कह रहे हों, लेकिन दस बोगियां लगातार 12 दिनों से अपने गंतव्य पर ना जाकर यदि स्टेशनों के चक्कर लगा रही हैं और इससे रेलवे को प्रत्येक दिन तीन लाख से ज्यादा का नुकसान हो रहा है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है इसका पता लगाना होगा. उनका कहना है कि नयी सरकार के आने के बाद यात्री किराया व माल भाड़ा बढ़ाते वक्त सरकार ने रेलवे के अच्छे दिन आने का वादा किया था लेकिन वह अच्छे दिन कब आयेंगे?
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