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अनदेखी के कारण विनाश की ओर बढ़ रहा कोलकाता पोर्ट (आंकड़ा)

दुनिया के प्रत्येक देश में व्यवसाय का प्रमुख जरिया जल मार्ग है. जल मार्ग द्वारा ही दुनिया के देश एक-दूसरे के साथ 99 प्रतिशत व्यवसाय करते हैं. जल मार्ग किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होती है. इसलिए दुनिया के सभी बड़े देश किसी नदी या समुद्र के किनारे बसे हुए हैं. पर सरकारी […]

दुनिया के प्रत्येक देश में व्यवसाय का प्रमुख जरिया जल मार्ग है. जल मार्ग द्वारा ही दुनिया के देश एक-दूसरे के साथ 99 प्रतिशत व्यवसाय करते हैं. जल मार्ग किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होती है. इसलिए दुनिया के सभी बड़े देश किसी नदी या समुद्र के किनारे बसे हुए हैं. पर सरकारी लालफीताशाही व अनदेखी के कारण भारत के चुनिंदा बेहतरीन बंदरगाहों में में शुमार होने वाला कोलकाता पोर्ट आहिस्ता-आहिस्ता विनाश की ओर बढ़ता जा रहा हैदेश में बड़े बंदरगाहों की संख्या 13देश में छोटे बंदरगाहों की संख्या 200कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट में बंदरगाह की संख्या 3नेताजी सुभाष बंदरगाहखिदिरपुर बंदरगाहहल्दिया बंदरगाहकारगो वहन:2005-06 53.143 मिलियन मैट्रिक टन2011-12 43.248 मिलियन मैट्रिक टनआंकड़े बता रहे हैं कि कोलकाता पोर्ट में 2011-12 में देश के अन्य बड़े बंदरगाहों के मुकाबले सबसे अधिक जहाज आये थे, पर कागार्े वहन के मामले में यह अन्य बंदरगाहों से पिछड़ता जा रहा है. बंदरगाह की तली से मिट्टी निकालने के लिए केंद्र प्र्रत्येक वर्ष 500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है. वह भी अब बंद होने वाला है, क्योंकि केंद्र ने प्रत्येक वर्ष इतनी बड़ी सब्सिडी देने के बजाय सागर में एक बंदरगाह तैयार करने की परियोजना तैयार कर ली है.

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