कोलकाता. इंडियन मेट कोक मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आइएमसीओएम) ने उद्योग के अस्तित्व की रक्षा के लिए मेट कोक पर आयात शुल्क कम से कम 20 प्रतिशत इजाफा करने की मांग की है. इस्पात बनाने में लगनेवाले कच्चे माल के विशेषज्ञ का कहना है कि 2013 में आयात शुल्क उठाने के बाद से बाजार में चीनी मेटलर्जिकल कोक की बाढ़ आ गयी है. इसके कारण जनवरी से सितंबर 2014 के बीच चीन से होनेवाला आयात साल दर साल दोगुना होकर 5.78 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो भारत से जानेवाले माल के मुकाबले तीनगुणा अधिक है. इसके कारण भारतीय उत्पादक जबरदस्त दबाव में हैं. आइएमसीओएम के अनुसार, आधुनिक अर्थव्यवस्था के विकास के लिए इस्पात बेहद जरूरी है. इस्पात के प्रति व्यक्ति खपत के आधार पर ही किसी देश की आर्थिक व सामाजिक विकास के पैमाने का नापा जाता है. इस्पात के उत्पादन के लिए मेट कोक एक बेहद जरूरी कच्चा माल है. ऐसे में मेट कोक उद्योग का देश के आर्थिक व औद्योगिक विकास में प्रभावशाली योगदान है. भारत में मेट कोक की मांग इस्पात उत्पादकों, रसायन उद्योग, फाउंड्री इत्यादि क्षेत्रों से होता है. इस उद्योग से लगभग दस लाख लोग जुड़े हुए हैं. ऐसे समय में भारतीय मेट कोक को चीनी मेट कोक की डंपिंग से बड़ा खतरा है. अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए हमें संघर्ष करना पड़ रहा है. कोक का बाजार मूल्य उत्पादन की परिवर्तनीय लागत से भी कम होने के कारण गुजरात एनआरई कोक लिमिटेड, सौराष्ट्र फ्यूल्स जैसे बड़े मेट कोक उत्पादक सीडीआर के लिए रेफर कर चुके हैं. ऐसे में घरेलू कोक उद्योग को बचाने के लिए आइएमसीओएम ने सरकार से उत्पाद शुल्क में कम से कम 20 प्रतिशत वृद्धि करने का आवेदन किया है.
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मेट कोक पर आयात शुल्क 20 फीसदी बढ़ाने की मांग
कोलकाता. इंडियन मेट कोक मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आइएमसीओएम) ने उद्योग के अस्तित्व की रक्षा के लिए मेट कोक पर आयात शुल्क कम से कम 20 प्रतिशत इजाफा करने की मांग की है. इस्पात बनाने में लगनेवाले कच्चे माल के विशेषज्ञ का कहना है कि 2013 में आयात शुल्क उठाने के बाद से बाजार में चीनी मेटलर्जिकल […]
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