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सोमेन ने सीबीआइ पर उठाये सवाल

कोलकाता: सारधा घोटाले में पूछताछ किये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोमेन मित्रा ने सीबीआइ के मकसद पर सवाल उठाया है. श्री मित्रा ने कहा कि मैं अभी तक यह नहीं समझ पाया हूं कि मुङो क्यों सम्मन जारी किया गया था. उनके पास मेरे खिलाफ कोई खास आरोप नहीं है, […]

कोलकाता: सारधा घोटाले में पूछताछ किये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोमेन मित्रा ने सीबीआइ के मकसद पर सवाल उठाया है. श्री मित्रा ने कहा कि मैं अभी तक यह नहीं समझ पाया हूं कि मुङो क्यों सम्मन जारी किया गया था.

उनके पास मेरे खिलाफ कोई खास आरोप नहीं है, इसके बावजूद सीबीआइ ने मुङो घंटों बैठाये रखा. श्री मित्रा ने कहा कि मजे की बात यह है कि राज्य में चिटफंड घोटाले के खिलाफ सबसे पहले उन्होंने ही आवाज बुलंद की थी और तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी. पूर्व तृणमूल सांसद ने कहा कि पूछताछ के लिए सीबीआइ दफ्तर जाने से पहले उनके मन में सीबीआइ के प्रति काफी सम्मान था, पर पिछले दिन उनके सामने हाजिर होने के बाद सीबीआइ के प्रति उनकी सोच बदल गयी है.

गौरतलब है कि शनिवार को सीबीआइ ने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा से सारधा घोटाले के बारे में लगभग साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की थी. हालांकि श्री मित्रा राज्य के वह पहले राजनीतिक हैं, जिन्होंने 2011 में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर पश्चिम बंगाल मे आयी चिटफंड कंपनियों की बाढ़ को रोकने के लिए कदम उठाने का आवेदन किया था. अपने पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि चिटफंड कंपनियां राज्य के लाखों गरीब लोगों के जीवन भर की कमाई को चूना लगा रही हैं.

हालांकि प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में श्री मित्रा ने सारधा ग्रुप का नाम नहीं लिया था. श्री मित्रा ने बताया कि सीबीआइ ने मुझसे सेबी को 2012 में लिखे उस पत्र के बारे में पूछताछ की है, जिसमें उन्होंने इस्ट बंगाल क्लब द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता अभियान का समर्थन करने की अपील की थी. श्री मित्रा ने बताया कि एक सांसद के रूप में मुङो किसी की सिफारिश करने का अधिकार है, यह उनके ऊपर है कि वह इसे लागू करते हैं या नहीं. एक सांसद के रूप में उनकी कई राजनीतिक मजबूरियां होती हैं और उन मजबूरियों के कारण मैंने कुछ सिफारिशें की थीं. सीबीआइ अधिकारी पूछ रहे थे कि क्या वह देवब्रत सरकार को जानते हैं और उन्होंने कई बार सुदीप्त सेन के साथ भेंट की है. यह सब सवाल मुझसे क्यों पूछा जा रहा है. अगर इस सब में मेरा कोई व्यक्तिगत फायदा होता तो मैं प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर चिट फंड घोटालों की जांच सीबीआइ से करवाने की मांग क्यां करता. इस मुद्दे पर मैंने तृणमूल के खिलाफ भी आवाज उठायी थी.

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