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शांति तो संगीत से ही मिलेगी : हरिप्रसाद

कोलकाता : शास्त्रीय संगीत को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले प्रसिद्ध संगीतकारों में एक नाम पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का भी है. श्री चौरसिया का नाम बांसुरी वादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है. साथ ही उन्हें तबला वादन का भी विशेष ज्ञान है. पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने हाल में कोलकाता दौरे के दौरान नम्रता पांडेय से […]

कोलकाता : शास्त्रीय संगीत को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले प्रसिद्ध संगीतकारों में एक नाम पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का भी है. श्री चौरसिया का नाम बांसुरी वादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है. साथ ही उन्हें तबला वादन का भी विशेष ज्ञान है.

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने हाल में कोलकाता दौरे के दौरान नम्रता पांडेय से बातचीत में बताया कि देश में विभिन्न स्थानों पर प्रतिवाद और आंदोलन हो रहे हैं, इससे समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि प्रतिवादों से कुछ नहीं होगा, शांति तो संगीत से ही मिलेगी. संगीत ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे लोगों को प्रेम का पाठ पढ़ाया जा सकता है. पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश:

प्रश्न. आपके पिता चाहते थे कि आप पहलवानी करें, लेकिन आपने किससे प्रभावित होकर संगीत को चुना?

उत्तर. मैं आज भी पहलवानी करता हूं लेकिन म्यूजिक से. मैंने पहलवानी की और बहुत अच्छी पहलवानी की. अगर ऐसा नहीं होता तो वह 82 वर्ष की उम्र में भी बासुंरी न बजा पाते. बांसुरी को फूंकने में जो ताकत लगती है, वह इस उम्र में संभव नहीं हो पाती. भारत में प्रेरणा के सिवा कुछ नहीं है. आप कुछ भी अच्छा काम करेंगे, लोग आकर आपको प्रोत्साहित करेंगे. यह भाव दूसरे देशों में नहीं मिलता.

प्रश्न. क्या भगवान श्रीकृष्ण के बांसुरी वादन ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर. भगवान श्रीकृष्ण सबके आराध्य हैं. इतना बड़ा स्कॉन मंदिर कृष्ण के नाम पर ही बना है. अमेरिकी नागरिक भी उनके प्रेम में विभोर हैं. ये तो अच्छी बात है कि किस तरह से प्रेम को बढ़ाया जाये. आज सीएए और अन्य मुद्दों को लेकर देश में क्या-क्या हो रहा है. इससे कुछ नहीं होने वाला है. शांति तो संगीत से ही मिलने वाली है.

प्रश्न. संगीत की जीवन में क्या भूमिका है?

उत्तर. संगीत की जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. जब भी कोई चिंता हो, किसी की तबीत खराब हो तो लोगों के मन में संगीत का ख्याल आता है. आज शास्त्रीय संगीत का इतना महत्व है कि हार्वड में वहां के लोग चाहते हैं कि उन्होंने जो म्यूजिक थैरपी क्लास शुरू की है, उसमें भाष्य कलाकार को बुलाकर विशेष प्रयोग किये जायें जो पुराने जमाने में भारत में होता था. वह फिर से वापस लौटेगा, जैसे अंधेरे के बाद उजाला आता है.

प्रश्न. आपने बासुंरी को दिव्य वस्तु व साधना का नाम दिया?

उत्तर. जब कोई भी बांसुरी को बजाता है, तो वह कई बार इस बारे में सोचता है कि बिना किसी शरीर या किसी विशेष संरचना के भी इतना मधुर सुर कहां से आता है. पश्चिमी देशों में बांसुरी स्टील की बनी होती है, जिसमें वह एक ‘की’ का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हमारी खोखली बांस की बांसुरी में एक अद्भुत स्वर है.

प्रश्न. आपकी गुरु अन्नपूर्णा देवी की आपके जीवन में क्या भूमिका रही?

उत्तर. उनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण रही कि उन्हें देखते ही ऐसे लगा जैसे भगवान के दर्शन हो गये. महसूस हुआ कि मां, भगवना को अपने साथ लेकर आयीं. जब बहुत बड़ा आशीर्वाद होता है तो ऐसे लोगों से मिलना संभव हो पाता है. गुरु और भगवान अलग नहीं होते. उन्होंने मेरे संगीत को निखार कर उसे ऊंचाई प्रदान की.

संगीत को अपनाने के लिए गुरुकुल परंपरा बहुत बड़ी परंपरा है.

प्रश्न. शिव-हरि की जोड़ी के बारे में क्या कहेंगे?

उत्तर. मेरी नजर में यह जोड़ी (प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवप्रकाश शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया) प्रसिद्ध जोड़ी है, लेकिन आजकल हम बहुत कम मिलते हैं, पर जब भी मिलते हैं, ऐसा लगता है कि एक ही मां की दो संतानें हैं.

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