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न्यूनतम खुदरा कीमत पर नियंत्रण जरूरी

ई-कॉमर्स कंपनियों पर टैक्स लगाये केंद्र सरकार ऑनलाइन कारोबार के साथ जुड़ने को तैयार हैं कपड़ा व्यापारी कोलकाता : चेंबर ऑफ टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री (कोट्टी) व प्रभात खबर कोलकाता की ओर से शुक्रवार को ‘ऑनलाइन कारोबार से थोक व खुदरा व्यापार पर पड़े रहे प्रभाव’ विषय पर कोट्टी के सभागार में परिचर्चा का आयोजन […]

ई-कॉमर्स कंपनियों पर टैक्स लगाये केंद्र सरकार

ऑनलाइन कारोबार के साथ जुड़ने को तैयार हैं कपड़ा व्यापारी

कोलकाता : चेंबर ऑफ टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री (कोट्टी) व प्रभात खबर कोलकाता की ओर से शुक्रवार को ‘ऑनलाइन कारोबार से थोक व खुदरा व्यापार पर पड़े रहे प्रभाव’ विषय पर कोट्टी के सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया, जहां कोट्टी के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी समिति के सदस्यों ने अपने विचार रखे.

इस अवसर पर कपड़ा व्यवसायियों ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों की वजह से थोक व खुदरा कपड़ा व्यापारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. ऑनलाइन कंपनियां जिस प्रकार से छूट दे रही हैं, इससे खुदरा व्यापारी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. उन लोगों ने केंद्र सरकार से किसी भी उत्पाद की न्यूनतम खुदरा कीमत (एमआरपी) को लेकर हो रही जालसाजी को नियंत्रित करने की अपील की.

साथ ही केंद्र सरकार से ई-कॉमर्स कंपनियों पर कर लगाने की भी मांग की. इस परिचर्चा का संचालन करते हुए कोट्टी के सचिव महेंद्र जैन ने कहा कि समय के साथ हमें भी अपने कारोबार के स्ट्रक्चर को बदलना होगा. इस अवसर पर कोट्टी के अन्य पदाधिकारियों व सदस्यों ने अपने विचार रखे.

धर्मेंद्र सेठ, चेयरमैन, होम टेक्सटाइल एंड मेडअप कमिटी : कोट्टी के पांच-छह सदस्यों को मिल कर ऑनलाइन कारोबार के साथ जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. हम रिफॉर्म लाकर ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर दे सकते हैं. इससे हमारा कारोबार और भी सुदृढ़ होगा.

सरोज सिंघल, चेयरमैन, सूटिंग शर्टिंग कमिटी : ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रभाव से कारोबारियों को निजात दिलाने के लिए कोट्टी को पहल शुरू करनी चाहिए. हमें भी अपने कारोबार के स्ट्रक्चर को परिवर्तित करते हुए ऑनलाइन व्यवसाय की ओर बढ़ना होगा और कोट्टी को अपने सदस्यों के लिए मार्गदर्शक का काम करना होगा.

विकास लाखोटिया, कार्यकारिणी सदस्य : हमें अपने उत्पादों की वैराइटी पर विशेष ध्यान देना होगा. साथ ही कीमत को भी प्रतिस्पर्धी रखना होगा ताकि हम ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर दे सकें. कोट्टी को अपने सदस्यों को लेकर पहल शुरू करनी चाहिए, जिससे हम लोग भी अपने कारोबार को ऑनलाइन कर सकें और अपनी पहुंच को बढ़ा सकें.

हरीश अग्रवाल, चेयरमैन, साड़ी कमिटी : लोगों में ऑनलाइन खरीदारी का जुनून इस प्रकार चढ़ा है कि लोग अब साड़ी का फोटो लेकर दुकानों पर पहुंचते हैं और वैसी ही साड़ी की मांग करते हैं. साथ ही ऑनलाइन सामान खरीदने व उसे रिटर्न करने की सुविधा से थोक व खुदरा व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. हमें बी2बी को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार करना होगा. संगठित होकर कार्य करना होगा, तभी हम ई-कॉमर्स कंपनियों के बाजार में टिक पायेंगे.

विनय परसरामपुरिया, सह चेयरमैन, यार्न कमिटी : जो दिखता है, वो बिकता है. ऑनलाइन कारोबार अब ज्यादा विजिबल है. इसके माध्यम से हम ग्राहकों तक आसानी से पहुंच सकते हैं. जैसे नदिया जिले के साड़ी व्यवसायियों ने डिजिटल का सहारा लेते हुए अपने कारोबार को बढ़ाया है, वैसी ही कुछ पहल हमें भी शुरू करनी होगी.

आयुष पोद्दार, सह चेयरमैन, ट्रेड डेवलपमेंट : ऑनलाइन कारोबार के लाभ भी हैं तो हानियां भी हैं, इसलिए हमें ऑनलाइन कारोबार पर समर्पित ना होते हुए अपने कारोबार पर विशेष जोर देना चाहिए, क्योंकि आज भी टेक्सटाइल सेक्टर पर ई-कॉमर्स का उतना अधिक प्रभाव नहीं है. आज भी लोग ‘छूते रह जाओगे’ को महसूस करना चाहते हैं.

बिनोद मिन्नी, कार्यकारिणी सदस्य : कपड़ा व्यवसायियों के हितों को ध्यान में रखते हुए कोट्टी को पहल शुरू करनी चाहिए. अगर कोट्टी ऑनलाइन कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कोई पहल शुरू करता है तो हम उसके साथ हैं.

गणेश मथरान, कार्यकारिणी सदस्य : हमें थोक व्यापारियों के साथ खुदरा व्यवसायियों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. ई-कॉमर्स कंपनियां का सबसे बुरा प्रभाव उन पर पड़ा है. उनके कारोबार में किस प्रकार सुधार हो, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.

सुशील साह, कार्यकारिणी सदस्य : ऑनलाइन खरीदारी में जिस प्रकार से छूट दी जा रही है, इससे थोक व खुदरा व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है. उनके पास विदेशों से धन आ रहा है, इसलिए हमें भी उनसे लड़ने के लिए संगठित होना होगा. हमें भी अपने कारोबार को ऑनलाइन के माध्यम से विकसित करना होगा.

राकेश चांदगोठिया, कार्यकारिणी सदस्य : बाजार में ब्रांड वैल्यू अभी भी बरकरार है, इसलिए हमें अपने ब्रांड वैल्यू को बरकरार रखना होगा. साथ ही बी2बी कारोबार को ऑनलाइन करने के लिए हमें प्रतिष्ठित ई-काॅमर्स कंपनी के साथ समझौता करना होगा, ताकि हम अपनी पहुंच को बढ़ा सकें.

बालकृष्ण ढेलिया, संयुक्त चेयरमैन, टैक्सेशन कमिटी : केंद्र सरकार को ई-कॉमर्स कंपनियों के कारोबार पर भी कर लगाना चाहिए, क्योंकि थोक व खुदरा व्यापार करने वाली कंपनियां कर देती हैं, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां इससे परे हैं.

बिनोद नांगलिया, सह चेयरमैन, इंटरनेशनल ट्रेड कमिटी : लोगों में ‘टच एंड फील’ अभी भी बरकरार है. ऐसा नहीं है कि ई-कॉमर्स कंपनियों से ऑफलाइन कारोबार पूरी तरह बंद हो जायेगा. हमें ऑफलाइन कारोबार को बचाने के लिए खुदरा व्यापारियों को प्रशिक्षण देकर जागरूक करना होगा. खुदरा व्यापारी बचेंगे, तभी थोक व्यापारी का कारोबार बढ़ेगा.

विजय विनायकिया, पूर्व अध्यक्ष : केंद्र सरकार को ई-कॉमर्स कंपनियों पर दिखाये जा रहे न्यूनतम खुदरा कीमत (एमआरपी) पर नियंत्रण करना होगा, क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियां उत्पादों की एमआरपी बढ़ा कर लिखते हैं और फिर उस पर भारी छूट का झांसा देकर बेचते हैं. केंद्र सरकार को इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

बृज मोहन मोहता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष : ई-कॉमर्स कंपनियों में विदेशी कंपनियों का रुपया आता है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार को इन पर कर लगाना चाहिए. एक प्रख्यात ई-कॉमर्स कंपनी ने कहा था कि वह सात वर्षों तक लाभ नहीं कमायेंगे, लेकिन आज वह दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है.

देवेंद्र बोथरा, संयुक्त सचिव : ‘छूते रह जाओगे’ को हमें अपना स्लोगन बनाना होगा और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा. कोट्टी के सदस्य भी अपने स्तर पर इसका प्रचार करें तो बेहतर होगा. साथ ही हमें ऑनलाइन कारोबार को भी अपनाना होगा, तभी हम अपनी पहुंच को बढ़ा पायेंगे.

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