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सीयू में की मैथिली पढ़ाने की मांग

कोलकाता : मिथिला विकास परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बुलावे पर राजभवन में उनसे मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान राज्यपाल से विशेष रूप से कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) में मैथिली की पढ़ाई फिर से शुरू कराये जाने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक […]

कोलकाता : मिथिला विकास परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बुलावे पर राजभवन में उनसे मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान राज्यपाल से विशेष रूप से कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) में मैथिली की पढ़ाई फिर से शुरू कराये जाने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक झा ने राज्यपाल के ध्यान में लाया कि वर्ष 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में मैथिली एक विषय हुआ करता था. 1971-72 के शिक्षण सत्र से मैथिली की पढ़ाई यहां बंद कर दी गयी.

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से कहा : पश्चिम बंगाल में मैथिली बोलने वाले 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और उनमें से करीब तीन लाख लोग कोलकाता में रहते हैं. उन्होंने राज्यपाल के संज्ञान में लाया कि भारत के संविधान की अष्टम अनुसूची में भी देश की मान्यताप्राप्त 22 भाषाओं में मैथिली शामिल है. वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर संविधान के 72वें संशोधन के द्वारा मैथिली को अष्टम अनुसूची में एक भाषा के रूप में शामिल किया गया.
राज्यपाल धनखड़ ने मिथिला विकास परिषद को संकेत दिया कि यह भारतीय संविधान की भावना में है कि वह भाषाओं को बढ़ावा दे, जो अष्टम अनुसूची में है. राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि वह अपने स्तर पर इस मुद्दे को ध्यान से देखेंगे और फिर आगे का रास्ता निकालेंगे. अध्यक्ष अशोक झा की अगुवाई में इस प्रतिनिधिमंडल में सचिव चंद्रदीप झा, पोसेनजीत सिंह, विकास झा, राजीव कुमार झा, ईश्वर चंद्र झा व पंडित नवीन झा शामिल थे.

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