कोलकाता : राज्य के विरोधी दलों के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री पूजा कार्निवल का आयोजन करके लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटकाना चाहती हैं. इस तरह के आयोजन की बजाय वह पश्चिम बंगाल के बेरोजगार नौजवानों के हितों का ख्याल करते हुए रोजगार का सृजन करतीं तो ज्यादा बेहतर होता. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने इस तरह के आयोजनों की निंदा करते हुए कहा कि दुर्गापूजा के बाद लोगों की रुचि इस तरह के आयोजनों के प्रति नहीं रहती है. मौजूदा समय में प्रदेश की जनता तरह तरह की समस्याओं से घिरी है.
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पूजा कार्निवल से ज्यादा जरूरी रोजगार व कानून व्यवस्था
कोलकाता : राज्य के विरोधी दलों के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री पूजा कार्निवल का आयोजन करके लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटकाना चाहती हैं. इस तरह के आयोजन की बजाय वह पश्चिम बंगाल के बेरोजगार नौजवानों के हितों का ख्याल करते हुए रोजगार का सृजन करतीं तो ज्यादा बेहतर होता. प्रदेश कांग्रेस […]
ऐसे में सबसे बड़ा संकट बेरोजगारी है. राज्य सरकार इस तरह के आयोजन करने की बजाय अगर नौजवानों को रोजगार देने की दिशा में पहल करती तो ज्यादा अच्छा होता. उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश में न्यायसंगत वेतन के लिए पैरा शिक्षकों को आंदोलन करना पड़ता है और वे पुलिस की लाठी खाते हैं.
सरकारी कर्मचारी सालों से अपना डीए नहीं पा रहे हैं. ऐसे में जनता के टैक्स के रुपये से इस तरह का आयोजन करना और पूजा कमेटियों के 10 हजार रुपये का अनुदान बढ़ा कर 25 हजार रुपये देना कहां तक जायज है. यह सब आजकल पश्चिम बंगाल का दस्तूर बन गया है. कार्निवल के नाम पर करोड़ों रुपये पानी में बहाया जा रहा है.
जबकि प्रदेश की आधी आबादी बेरोजगार है. लोगों को दो वक्त भरपेट भोजन नसीब नहीं हो रहा. लोग फुटपाथों पर जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं. ऐसे में लोग ममता बनर्जी के इस तरह के आयोजनों को भले ही सत्ता के डर से स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि लोग दिल से इसको स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
माकपा के विधायक तन्मय भट्टाचार्य ने पूजा कार्निवल को अप्रासंगिक नाटक करार दिया. उन्होंने कहा कि कोई भी धर्मनिरपेक्ष सरकार एक धर्म विशेष के कार्यक्रम को लेकर कार्निवल जैसा आयोजन नहीं कर सकती है. यह धर्म निरपेक्षता के खिलाफ है.
जितना खर्च इस तरह के आयोजन में राज्य सरकार करती है उतने रुपये में प्रदेश की गरीब जनता को नया पोशाक दिया जा सकता था. श्री भट्टाचार्य के मुताबिक राज्य सरकार अपने प्रचार प्रसार व मुख्यमंत्री के अहंकार को संतुष्ट करने के लिए इस तरह के आयोजन करती है.
आलम यह है कि कई पूजा आयोजक अपने आयोजन स्थल पर मुख्यमंत्री की तस्वीर लगा कर लिख रहे हैं कि वह लोग विश्वबांग्ला के विशेष पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं. ऐसा नहीं करके पूजा और कार्निवल के नाम पर सस्ती व घटिया राजनीति हो रही है. तन्मय भट्टाचार्य के मुताबिक अधिकतर पूजा कमेटियां मुख्यमंत्री के गुस्से से भयभीत होकर कार्निवल में हिस्सा ले रही हैं, जबकि उनका इसमें शामिल होने का कोई इरादा नहीं है.
प्रदेश भाजपा के महासचिव संजय सिंह ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता पाने का कोई भी मौका ममता बनर्जी गंवाती नहीं हैं. इसके लिए वह जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहा रही हैं, जबकि प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत बेहद खराब है. रोजाना विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है और मुख्यमंत्री खुद को बेवजह के कार्यक्रमों में उलझा कर रखी हुई हैं.
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