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कोलकाता के पूजा पंडाल : ‘रानी की वाव’ देखने उमड़ा जनसैलाब

कोलकाता : कोलकाता स्थित अहिरिटोला सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति ने गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) ‘रानी की वाव’ को पूजा पंडाल का थीम बनाया है. इस थीम के माध्यम से जल संरक्षण की महत्ता को उजागर किया गया है. रानी की वाव (बावड़ी) को वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजपूत […]

कोलकाता : कोलकाता स्थित अहिरिटोला सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति ने गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) ‘रानी की वाव’ को पूजा पंडाल का थीम बनाया है. इस थीम के माध्यम से जल संरक्षण की महत्ता को उजागर किया गया है. रानी की वाव (बावड़ी) को वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजपूत राजा भीमदेव प्रथम की प्रेमिल स्‍मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था.

यह जल प्रबंधन प्रणाली में भूजल संसाधनों के उपयोग की तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है. रानी की वाव को 2 जून 2014 को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया है. इसे जुलाई 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी 100 रुपये के नोट पर चित्रित किया गया है.

पंडाल में रानी की वाव के कुल 12 क्षेत्रों में से निचले तल को दिखाया गया है, जिसमें भूजल संरक्षण के उपयोग की तकनीक दिखायी गयी है. थीम का मूल वाक्य है : अनजाने में क्यों हम सब कुछ खो रहे हैं, खोने वालों की तालिका लगातार बढ़ रही है. पंडाल निर्माण की पूरी परिकल्पना तन्मय चक्रवर्ती ने की है. थीम इंद्रनील मुखर्जी और सुनील माली की है.

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