हावड़ा : यहां वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही रामेश्वर मालिया लेन नवयुवक सुधार संघ दुर्गोत्सव कमेटी की ओर से इस बार तय किया गया है कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर पूजा प्रेमियों को बापू के उपदेश व जीवन चर्चा से अवगत करायेगी. इसके लिए विशेष तैयारी की जा रही है. उसी जगह श्रद्धालु मैसूर के प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर की प्रतिकृति के रूप में खड़े बेहद आकर्षक पूजा मंडप में मां दुर्गा का दर्शन करेंगे. प्रत्येक साल की तरह इस बार भी नवयुवक सुधार संघ आकर्षक पंडाल बना रहा है.
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बापू के संदेश और चामुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन करेंगे श्रद्धालु
हावड़ा : यहां वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही रामेश्वर मालिया लेन नवयुवक सुधार संघ दुर्गोत्सव कमेटी की ओर से इस बार तय किया गया है कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर पूजा प्रेमियों को बापू के उपदेश व जीवन चर्चा से अवगत करायेगी. इसके लिए विशेष तैयारी […]
इस वर्ष मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर बन रहा है. कमेटी की पूजा का 67वां साल है. मध्य हावड़ा के रामेश्वर मालिया लेन की यह पूजा बहुत पुरानी है. पंडाल का निर्माण स्थानीय गोल्डन डेकोरेटर कर रहे हैं. जबकि मुन्ना पाल मूर्तिकार हैं. पंडाल को चामुंडेश्वरी मंदिर का रूप देने की भरसक कोशिश की जा रही है. पूजा आयोजकों ने बताया कि चामुंडेश्वरी मंदिर की प्रतिकृति बनाने का उद्देश्य यह है कि चामुंडेश्वरी मंदिर मां दुर्गा से संबंधित है और हमलोग मां दुर्गा की आराधना करने जा रहे हैं, इसलिए चामुंडेश्वरी मंदिर की प्रतिकृति बनायी जा रही है.
मध्य हावड़ा के अलावा दक्षिण हावड़ा, उत्तर हावड़ा और कोलकाता के भी श्रद्धालु रामेश्वर मालिया लेन पहुंचते हैं. स्थानीय निवासी जय प्रकाश मिश्रा ने बताया कि रामेश्वर मालिया लेन की यह पूजा वर्षों पुरानी है. उन्होंने कहा कि पूजा आयोजक गांधी जयंती के मौके पर पंडाल के पास आर्ट गैलेरी बना रहे हैं, जिसमें बापू की तस्वीरें और उनके उपदेश रहेंगे. इस गैलेरी से हमारे बच्चे सीख लेंगे. चतुर्थी के दिन पूजा का उद्घाटन मंत्री व स्थानीय विधायक अरूप राय करेंगे.
कहां और क्या है चामुंडेश्वरी मंदिर
चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक राज्य की चामुंडी नामक पहाड़ियों पर स्थित हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थान है. यह मंदिर चामुंडेश्वरी देवी को समर्पित है. चामुंडेश्वरी देवी को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. चामुंडी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के वध का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था.
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