हिंदी व भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए ‘शुभ सृजन नेटवर्क डायरेक्टरी’ की शुरुआत
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””हिंदी थोपी जा रही’ कहनेवाले अंग्रेजी थोपने पर भी आवाज उठायें””
हिंदी व भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए ‘शुभ सृजन नेटवर्क डायरेक्टरी’ की शुरुआत कोलकाता : ‘हिंदी थोपी जा रही है’ कहनेवाले अंग्रेजी थोपी जाने पर भी प्रश्न उठायें. आज अंग्रेजी हमारे देश की भाषा न होने के बावजूद वर्चस्व व प्रतिष्ठा की भाषा बन गयी है, जबकि अंग्रेजी को भारतीय भाषाओं की संविधानिक […]
कोलकाता : ‘हिंदी थोपी जा रही है’ कहनेवाले अंग्रेजी थोपी जाने पर भी प्रश्न उठायें. आज अंग्रेजी हमारे देश की भाषा न होने के बावजूद वर्चस्व व प्रतिष्ठा की भाषा बन गयी है, जबकि अंग्रेजी को भारतीय भाषाओं की संविधानिक मान्यता भी नहीं है. वहीं जो 22 भारतीय भाषाएं संविधान की सूची में हैं. उनकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा. ये बातें डॉ शंभुनाथ ने शनिवार को भारत सभा में हिंदी दिवस व प्रेमचंद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं.
उन्होंने कहा कि हिंदी दुर्गा मां की तरह है, जो सभी भाषाओं की शक्तियों को साथ लेकर चलती है. उन्होंने प्रेमचंद जयंती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद ने भारतीय भाषाओं की प्रतिष्ठा की कल्पना की थी. उन्होंने कहा कि आज के युवाओं के लिए सृजनात्मकता, समाजिकता और तकनीकी कौशल बहुत आवश्यक है.
शुभ सृजन नेटवर्क व अपराजिता की संस्थापक सुषमा कनुप्रिया ने बताया कि शुभ सृजन ई-डायरेक्टरी में साहित्य, पत्रकारिता, विशेषज्ञ, विश्लेषक, शिक्षण संस्थान, पुस्तकालय, हस्तशिल्प तक कई श्रेणियां हैं. इसमें संबंधित व्यक्ति अपनी योग्यता व प्रतिभा का विवरण अपलोड कर सकेगा, जिससे आवश्यकता पड़ने पर कोई दूसरा व्यक्ति उसे खोज सकेगा व इससे रोजगार भी सृजन होगा. विवरण हिंदी या किसी भारतीय भाषा में भरना अनिवार्य है.
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