कोलकाता : ‘सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील दलों का गठबंधन जरूरी है, जो देश को नयी दिशा दे सकता है.’ 90 के दशक में इसी सिद्धांत को पार्टी के अंदर स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहे सैफुद्दीन चौधरी को माकपा ने पार्टी से निकाल दिया था. थक हार कर सैफुद्दीन ने अपने मत को स्थापित करने के लिए पीडीएस का गठन कर समीर पुत्ततुंडू और अनुराधा पुत्ततुंडू सरीखे नेताओं के साथ अपनी लड़ाई शुरू की.
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अरसे बाद माना कि सैफुद्दीन सही थे
कोलकाता : ‘सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील दलों का गठबंधन जरूरी है, जो देश को नयी दिशा दे सकता है.’ 90 के दशक में इसी सिद्धांत को पार्टी के अंदर स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहे सैफुद्दीन चौधरी को माकपा ने पार्टी से निकाल दिया था. थक हार कर […]
उस वक्त उनकी इस बात का विरोध करनेवाले नेता अब खुल कर स्वीकार कर रहे हैं कि उनसे भूल हुई थी. अगर वह लोग इस बात को स्वीकार कर लेते तो आज माकपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों की हालत ऐसी नहीं रहती.
नेताओं की यह स्वीकारोक्ति सैफुद्दीन की 68वीं जयंती पर आयोजित एक सभा में देखने को मिली. यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट हॉल में आयोजित सभा का विषय था ‘देश को बचाने के लिए धर्मनिरपेक्ष लोगों की एकता’.
सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने कहा कि अशुभ शक्तियों को हम लोग रोक नहीं पाये, लेकिन अब हमलोग उनको रोकने की कोशिश कर रहे हैं. धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक व देशप्रेमी लोगों को लेकर इस लड़ाई को और मजबूत करना होगा.
वामपंथियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन लोकसभा में नहीं हो पाने की वजह और पश्चिम बंगाल में भाजपा की बढ़ती ताकत के लिए तृणमूल कांग्रेस का सहयोग को लेकर भी उन्होंने अपना विचार रखा.
विधानसभा में वाममोरचा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि वर्षों पहले सैफुद्दीन ने जिस सोच की नींव रखी थी, उसको लोग समझ पाने में विफल रहे, लेकिन हालात जिस कदर बदल रहे हैं उसको देखते हुए अब सांप्रदायिकता को रोकने के लिए समान विचारधारा के लोगों को एकजुट होना होगा.
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